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Wednesday 30 May 2012

बिना पहचान भंवर में फंसी रही तुन्नी की जिंदगी



www.bbc.co.uk/hindi/

बिना पहचान भंवर में फंसी रही तुन्नी की जिंदगी

 बुधवार, 30 मई, 2012 को 05:03 IST तक के समाचार
तुन्नी राय
तुन्नी राय को अपने जीवन में लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
मेरा नाम तुन्नी राय है और मेरा जन्म 1947 में हुआ, उसी साल भारत को आजादी मिली थी.
अपनी लगभग पूरी जिंदगी मैंने बिना पहचान के गुजार दी. जब बीबीसी की टीम मई में मुझसे बात करने आई तो मुझे पता चला कि मेरा मतदाता पहचान पत्र भेजा गया है जो गांव में दो महीने से मेरे घर पर पड़ा है.
मेरा संबंध पटना जिले के भिखुआ गांव से है. मेरे तीन बेटे और दो बेटियां हैं.
मैं कभी स्कूल नहीं गया और मैं अनपढ़ हूं.
बिना पहचान पत्र के जिंदगी बहुत मुश्किल रही और इसके चलते बहुत सी परेशनियां और झमेले झेलने पड़े.

कोई प्रमाणपत्र नहीं

बहुत साल पहले की बात है. मेरे एक पोते को गांव में कुत्ते ने काट लिया.
मैं उसे रैबिज से बचाने वाला इंजेक्शन लगवाने पटना मेडिकल कॉलेज और अस्तपताल में ले गया. लेकिन जब मैं अस्पताल में पहुंचा तो डॉक्टर ने मुझसे पहचान पत्र मांगा.
मेरे पास पहचान पत्र नहीं था तो डॉक्टर ने मेरे पोते को इंजेक्शन लगाने से इनकार कर दिया. मैं अपने भाग्य को कोसता हुआ वापस चला गया.
इसके बाद फिर एक बार मुझे पहचान पत्र या पहचान दस्तावेज न होने की वजह से मुसीबत का सामना करना पड़ा.
मेरे खेत से बिजली की लाइन गुजरती है. अक्टूबर 2009 में बिजली के तार चुराने के लिए कुछ चोर एक खंबे पर चढ़ गए. उनमें से एक की करंट लगने से मौत हो गई और वो खेत में आ गिरा.
अगले दिन गांव में पुलिस आई और लाश को पोस्ट मॉर्टम के लिए भेजे बिना इस मामले में मेरा और मेरे परिवार का नाम अभियुक्तों के तौर पर दर्ज कर लिया गया.

पहचान पत्र में उलझी जिंदगी

लाख कोशिशों और भागदौड़ के बाजवूद मैं अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर पाया क्योंकि मैं जहां भी जाता था, वहां मुझसे पहचान पत्र मांगा जाता था.
आखिरकार मैंने और मेरे परिवार ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और हमें जेल भेज दिया गया.
छह महीने बाद मुझे जमानत मिली और मैं जेल से बाहर आया. लेकिन मैं वापस अपने गांव जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया.
मेरा सब कुछ खो गया था. मैंने अपनी जमीन को गिरवी रख कर कर्ज लिया ताकि अपने परिवार का खर्च उठा सकूं.
मैं पटना आया और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगा. सौभाग्य से मेरा एक रिश्तेदार उसी सिक्योरिटी एजेंसी में काम करता था इसलिए उन्होंने मुझसे कोई पहचान पत्र नहीं मांगा.
कभी मैं किसान हुआ करता था. अब एक अदना से सिक्योरिटी गार्ड हूं.

बेशुमार चुनौतियां

मैं हर दिन 16 घंटे की नौकरी करके महीने में पांच हजार रुपये कमाता हूं. मेरी ज्यादातर कमाई बीमार बेटे के इलाज और मुकदमा लड़ने पर खर्च हो जाती है.
पहचान पत्र न होने की वजह मैं बैंक खाता नहीं खुलवा पाया हूं. गांव में बिजली का कनेक्शन भी नहीं ले पाया. मेरे पास मोबाइल फोन भी नहीं है क्योंकि वे भी कनेक्शन के लिए पूरे कागज मांगते हैं.
कागजात न होने की वजह से मैं अपनी पुश्तैनी जमीन को अपने नाम पर स्थानांतरित भी नहीं करा सकता हूं.
पहचान पत्र न होने की वजह से मैं रोज किसी न किसी परेशानी का सामना करता हूं और अब तो मुझे इसकी आदत हो गई है.
हाल में मुझे मतदाता पहचान पत्र मिला, लेकिन इस उम्र में भला इससे क्या होगा? इससे मुझे क्या फायदा होगा? इस मतदाता पहचान पत्र के जरिए मैं किसी को वोट भी दूं तो उससे मुझे क्या मिलेगा?
और ये विशिष्ठ पहचान संख्या क्या है, जिसकी आप बात कर रहे हो?
(पटना, बिहार में तुन्नी राय से अमरनाथ तिवारी की बातचीत पर आधारित)

Tuesday 29 May 2012

મુંબઈ પુના એક્સપ્રેસ હાઈવે ખાલાપુર ટોલ નાકા પાસે જાન પાછી લઈ મુંબઈ થી પુના જતી ત્રણ બસ અને પાછળથી આવેલ માલ સાથેના એક ટેમ્પોએ ટક્કર મારતાં સોમવાર ૨૮.૦૫.૨૦૧૨ના સવારના બે વાગ્યા પહેલાં ૨૭ જાનૈયાના મોત.

મુંબઈ  પુના એક્સપ્રેસ  હાઈવે ખાલાપુર ટોલ નાકા પાસે જાન  પાછી લઈ  મુંબઈ થી પુના તી ત્રણ  બસ  અને પાછળથી આવેલ  માલ  સાથેના એક ટેમ્પોએ  ટક્કર મારતાં સોમવાર ૨૮.૦૫.૨૦૧૨ના સવારના બે વાગ્યા પહેલાં ૨૭ જાનૈયાના મોત.

ગોબલ્સ, હીટલર, હીજડા અને શીખંડી એટલે ભાજપ અને કોંગ્રેસ... જુઓ રોજના સમાચાર પત્રો.....

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Saturday 26 May 2012

वाह री कांग्रेस तेरा खेल, सस्ती दारू महंगा तेल : ठाकरे



वाह री कांग्रेस तेरा खेल, सस्ती दारू महंगा तेल : ठाकरे

 
Source: dainik bhaskar news   |   Last Updated 03:19(26/05/12)
 


मुंबई. पेट्रोल की कीमतें बढ़ने पर शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने कहा कि अब तो शराब पेट्रोल से सस्ती हो गई है। ‘समय आ गया है जब लोग यह नारा लगाएं.. वाह री कांग्रेस तेरा खेल, सस्ती दारू महंगा तेल!’ पार्टी के मुखपत्र में छपे संपादकीय में ठाकरे ने कहा कि कांग्रेस और महंगाई एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। यह समझ नहीं आता कि फिर भी लोग इन्हें कैसे जिता देते हैं। एक तरफ सरकार ने तीसरी वर्षगांठ मनाई। दूसरी ओर 24 घंटों के अंदर पेट्रोल की कीमतें बढ़ा दीं। आम आदमी को बचाने के बजाय गरीबों को और दबा दिया है। माचिस से लेकर सोने तक के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं। गेहूं, चावल, दाल, शकर और खाद्य तेल के दाम पिछले 4-5 साल में दोगुने हो चुके हैं। न केवल गरीब बल्कि मध्यम और उच्च-मध्य वर्ग के लिए भी जीना मुश्किल हो गया है।

૧૩/૭ ટ્રિપલ બ્લાસ્ટઃ ૪,૭૮૮ પાનાંનું આરોપનામું દાખલ વધુ એકની ધરપકડઃ રિયાઝ અને યાસીન ભટકલ સહિત છ વૉન્ટેડ

મુંબઈ  સમાચાર, બીબીસી હીન્દી અને અંગ્રેજી ટાઈમ્સ ઓફ ઈન્ડીઆ. શનીવાર તારીખ  ૨૬.૦૫.૨૦૧૨.

મુંબઈઃ ૧૩મી જુલાઈ, ૨૦૧૧ની સાંજે દક્ષિણ મુંબઈના ઝવેરી બજાર, ઓપેરા હાઉસ અને દાદર વિસ્તારમાં થયેલા ટ્રિપલ બોમ્બબ્લાસ્ટના કેસની તપાસ કરી રહેલી મહારાષ્ટ્ર એટીએસે (એન્ટી ટેરરિસ્ટ સ્કવોડ) શુક્રવારે એમસીઓસીએ કોર્ટમાં ૪,૭૮૮ પાનાનું આરોપનામું દાખલ કર્યું હતું. આરોપનામામાં ઈન્ડિયન મુજાહિદીનના કમાન્ડર રિયાઝ ભટકલ, તેના ભાઈ યાસીન સહિત છ આરોપીને વોન્ટેડ જાહેર કરાયા છે. પાકિસ્તાનમાં બેઠા બેઠા રિયાઝ ભટકલે આઈએમના ટોપ ઓપરેટર યાસીન ભટકલ અને સાથીદારો મારફત મુંબઈમાં બોમ્બ બ્લાસ્ટ કરાવ્યાનો પણ આરોપનામામાં ઉલ્લેખ છે. દરમિયાન ટ્રિપલ બ્લાસ્ટ કેસમાં એટીએસે વધુ એક શખસની ધરપકડ કરતાં આરોપીઓની સંખ્યા પાંચ પર પહોંચી હતી. એટીએસ ચીફ રાકેશ મારિયાએ જણાવ્યું હતું કે ૧૩/૭ના ટ્રિપલ બ્લાસ્ટ બાદ નોંધાયેલ ત્રણ એફઆઈઆરને એકસાથે કરીને શુક્રવારે કોર્ટમાં આરોપનામું દાખલ કરાયું હતું. આ આરોપનામામાં ૬૪૧ સાક્ષીદારની જુબાનીનો સમાવેશ છે. આમાંના ૧૯ સાક્ષીદાર એવા છે જેમણે ઓળખપરેડમાં આરોપીઓને ઓળખી કાઢ્યા હતા. આરોપીઓ વિરુદ્ધ યુએપીએ અને એમસીઓસીએ એક્ટ, એક્લપ્લોઝિવ એક્ટ, એક્સપ્લોઝિવ સબ્સ્ટેન્સીસ એક્ટ, હત્યા-હત્યાનો પ્રયાસ તથા આઈપીસીની વિવિધ કલમો હેઠળ આરોપ લગાવાયા છે. દરમિયાન આરોપનામામાં ૧૭૦ સીસીટીવી કેમેરાના ફૂટેજ તથા ૩૦૮ કલાકના વિડિયોનો પણ સમાવેશ છે.



मुंबई 13/7 धमाकों में चार्जशीट

 शुक्रवार, 25 मई, 2012 को 19:59 IST तक के समाचार
13 / 7 धमाके
इन धमाकों में 27 लोग मारे गए थे और करीब 130 लोग घायल हुए थे.
मुंबई में पिछले साल जुलाई में हुए तीन क्रमवार बम धमाकों में पुलिस ने शुक्रवार को 4000 पन्नों की एक चार्जशीट दाखिल की है.
बेहद सख्त कानूनी प्रावधानों के तहत दाखिल किए गए इस आरोप पत्र को विशेष मकोका अदालात के सामने रखा गया है.
पिछले साल 13 जुलाई को हुए धमाकों के चलते मुंबई पुलिस ने मकोका के प्रावधानों के तहत चार लोगों को गिरफ्तार किया हुआ है. इन लोगों के नाम हैं नकी अहमद, नदीम शेख, कंवर पथरीजा और हारुन नाइक.
जानकारी के अनुसार पुलिस ने नदीम शेख का एक तथाकथित हलफीया बयान भी अदालत के सामने पेश किया गया है.

पुलिस का दावा है कि पांच अन्य लोग जो कि पुलिस के अनुसार इंडियन मुजाहिदीन नाम के संगठन के सदस्य है, वे फरार हैं. इन लोगों में जो लोग शामिल हैं पुलिस के अनुसार उनके नाम हैं वकास, तबरेज और यासीन भटकल.

मुंबई पुलिस के अनुसार भटकल वकास और तबरेज ने मुंबई के भायखला में एक फ्लैट किराए पर लिया जहाँ उन्होंने विस्फोटकों को तैयार किया.
इसके बाद इन लोगों ने मुंबई के झवेरी बाजार, दादर और ओपेरा हाउस में धमाके किए.

इन धमाकों में में 27 लोग मारे गए थे और करीब 130 लोग घायल हुए थे.


IM leaders from Pakistan plotted 13/7 strike: ATS



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IM leaders from Pakistan plotted 13/7 strike: ATS
The banned terrorist goup was created by Pakistani spy agency ISI "to spread terror in this country".
MUMBAI: The serial bombings that hit Mumbai on July 13 last year were planned and coordinated by Indian Mujahideen leaders from Pakistan, according to the chargesheet filed by the Anti-Terrorism Squad (ATS) before a special Maharashtra Control of Organized Crime Act court on Friday.

The nearly 4,800-pages-long document names at least 10 accused and says that the objectives behind the bombings at Opera House, Zaveri Bazar and Dadar were to "create instability in the state" and to "weaken the country's economy". Twenty-seven people died in the blasts and another 127 were injured. The police have so far arrested five people in the case and are on the lookout for six others. The fifth arrest-of 52-year-old Kafeel Ansari-was made last Saturday; he will be chargesheeted later.

"Ansari, who originally hails from Bihar, had provided logistical support and actively participated in the criminal conspiracy," said Rakesh Maria, additional DGP, ATS.

The chargesheet says that "the entire criminal conspiracy was hatched by Riyaz Bhatkal and Yasin Bhatkal", who are "the chief cogs of the notorious" Indian Mujahideen. The banned terrorist goup, it adds, was created by Pakistani spy agency ISI "to spread terror in this country". Riyaz and his brother Iqbal Bhatkal "operate from Pakistan with the help of their associates based in India by imparting instructions to them" via electronic means through Yasin.

Riyaz and Yasin are two of the wanted accused named in the chargesheet. Among the remaining wanted accused are two suspected Pakistani nationals identified as Waqqas Ibrahim Shaikh and Danish alias Tabrez; a 22-year-old, Shaikh Mohd Tahsin Akhtar, currently believed to be on the run in Andhra Pradesh; and an Indian-born hawala operator based in Dubai named Muzzafar Kola. Kola's name had also figured in the kidnapping of Roy Burman, the owner of Kolkata-based Khadim Shoes. "Kola had instructed Pathreja to hand over Rs 10 lakh to someone identified as Shivanand. Later, we found that Shivanand was none other than Yasin," said Maria. More than Rs 12 lakh was used to execute the three blasts.

Those arrested and chargesheeted include Haroon Rashid Abdul Hameed Naik, Naquee Ahmed, Nadeem Akhtar and a Delhi-based hawala operator, Kawalnayan Pathreja.

The chargesheet says that Tabrez planted the bomb at Zaveri Bazar alone and with Waqqas at Opera House. It does not identify the planter of the bomb at Dadar, though it is suspected to be Tahsin. At Zaveri Bazar, the explosive was left in a scooter; at Opera House, near a hawker stand; and at Dadar, atop a bus stop. The explosives were a concoction of many elements, main among which were ammonium nitrate and TNT.

The bombs, the document states, were assembled at an apartment in Habib Mansion, Byculla-the same place where Tabrez and Waqqas stayed between February and November last year. During the course of the investigations, the police seized a desktop from the apartment and found there a pair of denims with semen. The semen, when compared with Naquee's blood samples, confirmed his presence in the flat at some point.

Waqqas and Tabrez, incidentally, were identified as 'A' and 'B' in remand applications.

"We did not want to hamper our own investigation earlier. Now, we have got evidence against them so we revealed their identity," said Maria. He asserted that the police have clinching evidence against the perpetrators. "We made the arrests only after we were 100 per cent sure of their involvement. Later, their interrogation led us to the root of the conspiracy."

The chargesheet states that the case was cracked after information was received that certain "suspicious youths from Darbhanga, Bihar, were frequenting Madanpura, Nagpada and Byculla and were using SIM cards obtained with fraudulent documents".

Simultaneously, an accused in another case, Abdul Wahab, revealed "that Imran (Yasin Bhatkal) was interacting with 10-12 young Muslim boys from Darbhanga and adjoining areas and had been trying to indoctrinate them with inflammatory and provocative speeches, under the pretext of 'Darz' at a madrassa".

"Wahab further disclosed that Naquee was a regular attendee of such a Darz and was staying at Madanpura since 2010 along with his associates. The ATS then traced Naquee and arrested him," the chargesheet says. "A detailed analysis of the suspicious mobile numbers revealed that the wanted accused and Yasin had been in touch with a hawala operator from Mumbai."



Friday 25 May 2012

મુંબઈમાં ૧૨માં ધોરણનું પરીણામ

મુંબઈમાં ૧૨માં ધોરણનું પરીણામ 

મુંબઈમાં આજ શુક્રવાર ૨૫.૫.૨૦૧૨ના બપોરના ૧૨માં ધોરણનું પરીણામ બહાર પડ્યું.
અંગ્રેજી વીસયના ૨,૮૧,૧૫૮ વીધ્યાર્થી હતા. મરાઠી વીસયના ૧,૦૦,૭૯૫ વીધ્યાર્થી હતા.
હીન્દીના ૧,૧૬,૫૧૦, ઉર્દુના ૮,૩૩૨  અને ગુજરાતીના ૩,૪૬૮ વીધ્યાર્થી હતા.

મહારાષ્ટ્ર રાજ્ય માધ્યમીક શીક્ષણ મંડળના એચ.એચ.સી. (બારમું ધોરણ) ૨૦૧૨ની પરીક્ષામાં ૧૧,૪૩,૧૩૫ વીધ્યાર્થીઓએ આપી હતી. જેમાંથી ૮,૫૧,૨૦૬ પાસ થયા છે. ૫,૦૬,૮૧૮ વીધ્યાર્થીઓનીમાંથી ૪,૦૩,૭૨૫ વીધ્યાર્થીઓની પાસ થઈ છે. એકંદર પરીણામ ૭૪.૪૬ ટકા આવેલ છે. ગુજરાતી વીષયની પરીક્ષા ૩,૭૭૩ વીધ્યાર્થીએ આપી હતી અને ૩,૫૫૬ વીધ્યાર્થી પાસ થયેલ છે.

ગડકરીનું વજન ઓછું થયું.....મરાઠી છાપું લોકમત....

ગડકરીનું વજન ઓછું થયું.....મરાઠી છાપું લોકમત....

મોદીના મીસાઈલનું સફળ પરીક્ષણ.

મોદીના મીસાઈલનું સફળ પરીક્ષણ.

મોદીથી ગુજરાત, ભાજપ હાઈઅ કમાન્ડ અને તમામ કાર્યકરો ભયભીત.

ભાજપ નામના સાપને સંજય જોશી નામની છછુંદરી ખાવી પડી.

વર્તમાન રાસ્ટ્રીય અધ્યક્ષ નીતીન ગડકરીએ ગુજરાતીઓની માફી માંગવી પડશે.

આર.એસ.એસ. ના પ્રચારક સંજય જોસીની ટાઈટેનીકે મધ્ય દરીયે સમાધી લીધી.

ડ્રામા : ગડકરી ઝૂકયા

ગડકરી કેમ ઝૂકયા

કારોબારીની બેઠકની પૂર્વ સંધ્યાએ ગડકરીને મોદીના રાજીનામાની ધમકી મળ્યા બાદ પોતાના પક્ષની રાજ્ય સરકારના મુખ્યમંત્રી રાજીનામું આપે તે કોઈપણ પક્ષના રાષ્ટ્રિય પ્રમુખને સ્વીકાર્ય ન હોઈ શકે એટલે ગડકરી દ્વારા તેમના અન્ય સાથીઓ સાથે મંથન કર્યા બાદ સંજય જોશીને કારોબારીના સભ્ય પદેથી રાજીનામું આપવાનું કહેવાયું હતું.

રાષ્ટ્રીય સ્વયં સેવક સંઘ-આરએસએસના પ્રચારક એવા નરેન્દ્ર મોદી અને સંજય જોષી

http://www.divyabhaskar.co.in/article/MGUJ-sanjay-joshi-pay-cost-to-support-keshubhai-3316168.html


રાષ્ટ્રીય સ્વયં સેવક સંઘ-આરએસએસના પ્રચારક એવા નરેન્દ્ર મોદી અને સંજય જોષી

Source: Bhaskar News, Gandhinagar   |   Last Updated 2:39 AM [IST](25/05/2012)
 



રાષ્ટ્રીય સ્વયં સેવક સંઘ-આરએસએસના પ્રચારક એવા નરેન્દ્ર મોદી અને સંજય જોષી વચ્ચે ૧૯૯૦થી ૧૯૯પ દરમિયાન ખૂબ જ નિકટના સંબંધ હતા. ૧૯૯પમાં ગુજરાતમાં સૌ પ્રથમવાર ભાજપને સત્તા સ્થાને બેસાડવામાં આ બંને આગેવાનોની ભૂમિકા અત્યંત મહત્ત્વની રહી હતી. આ બંનેની તનતોડ મહેનતને કારણે ગુજરાતમાં ભાજપે એકલા હાથે સત્તા કબજે કરી એટલું જ નહીં, કેશુભાઈ પટેલ મુખ્યમંત્રી બન્યા. ૧૯૯પના અંતમાં ભાજપના જ કદાવર ક્ષત્રિય નેતા શંકરસિંહ વાઘેલાએ કેશુભાઈની સરકાર સામે મોરચો માંડયો અને ભાજપમાં એવું ઘમાસાણ મચ્યું કે કેશુભાઈને મુખ્યપ્રધાનપદ છોડવું પડયું અને તેમના સ્થાને મુખ્યપ્રધાનપદે સુરેશ મહેતાને ગાદી સોંપવામાં આવી. સાથોસાથ નરેન્દ્ર મોદીને ગુજરાત છોડીને દિલ્હી મોકલવામાં આવ્યા.

અલબત્ત, નરેન્દ્ર મોદીને દિલ્હી મોકલવાનો નિર્ણય એક સમજૂતીના ભાગરૂપે લેવામાં આવ્યો હતો અને બસ ત્યારથી મોદી-જોષીના રસ્તા ફંટાઈ ગયા. હાઈકમાન્ડને જ્યારે મોદીને ગુજરાત છોડવાની ફરજ પાડી ત્યારે મોદી સમસમીને બેસી રહ્યા હતા જ્યારે બીજી તરફ કેશુભાઈ અને જોષીની જોડી જામી ગઈ.

પરિસ્થિતિ પલટાઈ

૨૦૦૧માં તત્કાલીન મુખ્યમંત્રી કેશુભાઈ પટેલને ભાજપ હાઈકમાન્ડે દિલ્હી તેડાવ્યા અને પાછલા બારણે નરેન્દ્ર મોદીને ગુજરાત આવવાનો અવસર મળી ગયો. ભૂકંપમાં પુનર્વસનની ધીમી કામગીરી અને વિધાનસભાની સાબરમતી બેઠકની પેટા ચૂંટણીમાં ભાજપના પરાજયનું બહાનું આગળ ધરીને કેશુભાઈ પટેલને ફરી એકવાર ગાદી છોડવી પડી અને તેમના સ્થાને મુખ્યમંત્રી તરીકે નરેન્દ્ર મોદી આરૂઢ થયા. ગુજરાતની ગાદી સંભાળ્યા પછી મોદીએ પક્ષ, સરકાર અને સંગઠન પર પોતાની પકડ મજબૂત બનાવી જેની સીધી અસર કેશુભાઈ અને તેમના સમર્થકો પર પડી.

સંજય જોષીને ભાજપમાં કેમ દૂર થવું પડયું

મુંબઈમાં ૨૦૦પમાં યોજાયેલી ભાજપની રાષ્ટ્રીય કારોબારી દરમિયાન સંજય જોષીની એક મહિ‌લા સાથેની સંદિગ્ધ સેક્સ સીડી જાહેર થતાં ભાજપમાં ભૂકંપ આવ્યો અને આ સીડીકાંડને કારણે જોષીને ભાજપમાંથી પડતા મૂકવામાં આવ્યા. રાષ્ટ્રીય સ્વયંસેવક સંઘે પણ એ સમયે જોષીને જાહેરમાં સાથ આપવાનું ટાળ્યું હતું. જો કે, આ સીડીકાંડની તપાસમાં જોષીને નિર્દોષ જાહેર કરવામાં આવ્યા પરંતુ જોષીને પક્ષમાં પરત લાવવામાં ઉત્તર પ્રદેશની ચૂંટણી કારણભૂત બની.

રાષ્ટ્રીય પ્રમુખ નીતિન ગડકરીએ જોષીને જેવી જવાબાદારી સોંપી કે તરત જ ભાજપમાં સત્તા માટેની ખેંચતાણ શરૂ થઈ ગઈ. મોદીએ જોષીને સોંપવામાં આવેલી જવાબદારીનો સાંકેતિક વિરોધ કર્યો, એટલું જ નહીં, ગડકરી સહિ‌તના નેતાઓ સમક્ષ નારાજગી પણ વ્યક્ત કરી કે એક મ્યાનમાં બે તલવાર રહી શકે નહીં. વિવાદ વધુ વકરે નહીં તે માટે ભાજપ હાઈકમાન્ડે મોદીની નારાજગીને અવગણી પરંતુ મોદી પોતાની વાતને વળગી રહ્યા અને સ્પષ્ટ નારાજગી વ્યક્ત કરવા દિલ્હીમાં યોજાયેલી કારોબારીમાં ગેરહાજર રહ્યા અને આખરે સંજય જોષી ફરી પરાસ્ત થયા.

જોશી વિરુદ્ધ મોદી

જોષી ૧૯૮૮માં મહારાષ્ટ્રથી અમદાવાદ આવ્યા. ૧૯૯૦માં મોદી મહા સચિવ હતા અને જોષી સચિવ. બંનેએ પાંચ વર્ષ સાથે કામ કર્યું.

૧૯૯પમાં વાઘેલાએ બળવો કર્યો. મોદીને ગુજરાત છોડવું પડયું. જોષી મહા સચિવ બન્યા.

૧૯૯૮માં મોદી ગુજરાત આવવા માગતા હતા. જોષી વિરોધમાં હતા. બંને વચ્ચે વિવાદ છેડાયો.

૨૦૦પમાં વિવાદ વધુ ઉગ્ર બન્યો. સંજય જોષીની વિવાદી સીડી બહાર આવી. તેમને રાજીનામુ આપવું પડયું.

સંજય જોષીની વિવાદાસ્પદ સીડી પાછળ નરેન્દ્ર મોદી હોવાની શંકા વ્યક્ત થઈ.

૨૦૧૨માં છ વર્ષ બાદ જોષીને ઉત્તર પ્રદેશની ચૂંટણીના પ્રભારી બનાવાયા. મોદી ભયંકર નારાજ થયા. ઉત્તર પ્રદેશમાં પાર્ટીનો પ્રચાર કર્યો નહીં.

Thursday 24 May 2012

ओसामा और पाकिस्तान


http://www.bbc.co.uk/hindi/pakistan/2012/05/120523_pakistan_doctor_arrested_jk.shtml

ओसामा और पाकिस्तान
 बुधवार, 23 मई, 2012 को 19:00 IST तक के समाचार
डॉक्टर शकील अफरीदी को खैबर एजेंसी के न्यायालय ने दोषी पाया
ओसामा बिन लादेन को पकड़वाने में अमरीका की मदद करने वाले डॉक्टर को पाकिस्तान की एक अदालत ने 30 साल की जेल की सजा सुनाई है. उन पर 3500 डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया है.
शकील अफरीदी नाम के इस डॉक्टर पर राजद्रोह का आरोप था. सरकारी पक्ष का कहना था कि डॉक्टर शकील अफरीदी ने वेक्सीनेशन लगाने का फर्जी कार्यक्रम चलाया.
ओसामा बिन लादेन 2011 के मई में एबटाबाद में अमरीकी हेलिकॉप्टरों द्वारा किए गए मरीन सील्स के हमले में मारे गए थे.
बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमरीका और पाकिस्तान के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे.
ओसामा के पाकिस्तान में छिपे होने से पाकिस्तान को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था. पाकिस्तान का मानना है कि अमरीकी हमला पाकिस्तान की संप्रभुता पर हमला था.
"पाकिस्तान के बाहर स्थित पर्यवेक्षकों को चिंता है कि बिन लादेन के मारे जाने के बाद जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनमें से अधिकतर वो हैं जो ओसामा को पकड़वाने में मदद कर रहे थे. निशाना उन पर नहीं है जिन पर उन्हें बचाने का शक है"
बीबीसी के अलीम मकबूल
बीबीसी के अलीम मकबूल का कहना है, "पाकिस्तान के बाहर स्थित पर्यवेक्षकों को चिंता है कि बिन लादेन के मारे जाने के बाद जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनमें से अधिकतर वो हैं जो ओसामा को पकड़वाने में मदद कर रहे थे. निशाना उन पर नहीं है जिन पर उन्हें बचाने का शक है."

डॉक्टर के पक्ष में अमरीका

अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने डॉक्टर अफरीदी की रिहाई की गुहार लगाई थी और कहा था कि वे पाकिस्तान और अमरीका के हितों के लिए काम कर रहे थे.
अमरीका के रक्षा मंत्री लिओन पैनेटा ने इस साल जनवरी में बताया था कि डॉक्टर शकील डीएनए के नमूने इकठ्ठा कर रहे थे और लक्ष्य था कि संदिग्ध परिसर से किसी बच्चे का डीएनए मिल जाए तो उन्हें कोई सुराग मिले. लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि उन्हें इस बारे में जानकारी थी या नहीं कि इस पूरी प्रक्रिया का मकसद ओसामा को पकड़ना था.
पैनेटा ने सीबीएस टेलीवीजन के कार्यक्रम ‘सिक्सटी मिनट्स’ में इस मामले के बारे में बातचीत की थी.
लिओने पैनेटा ने कहा था, “डॉक्टर शकील किसी भी तरह पाकिस्तान को नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे...पाकिस्तान सरकार द्वारा उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई करना मेरे हिसाब से सरकार की बहुत बड़ी गलती है क्योंकि वे तो आतंकवाद के खिलाफ हमारी मदद कर रहे थे.”
एबटाबाद में लादेने के मारे जाने के बाद ही डॉक्टर शकील को पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ षडयंत्र करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था.
डॉक्टर शकील अफरीदी को खैबर एजेंसी के न्यायालय ने दोषी पाया है.

Monday 21 May 2012

महिला ने 73 की उम्र में किया एवरेस्ट फतह