વાંચો આ સમાચાર અને એના ઉપર લોકોની કોમેન્ટ :
આના કરતા મોટી ચોરી કરતાં આવડે છે અને જીંદગીભર કોઈને ખબર પણ પડતી નથી.
લીન્કને કલીક કરો અને વાંચો લોકોની કોમેન્ટ
सबसे बड़ी चोरी, हजारों एटीएम को किया साफ
न्यू यॉर्क।। दो वारदातों में चोरों ने कुछ ही घंटों में 2 दर्जन से ज्यादा देशों के हजारों एटीएम से 4.5 करोड़ डॉलर यानी करीब 2.45 अरब रुपए चुरा लिए। यह नए जमाने की चोरी या बैंक डकैती है, जिसमें चोरों को नकाब लगाकर सेंध काटने या तिजोरी तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ी।
अकेले न्यू यॉर्क सिटी में 19 फरवरी को 8 लोगों की टीम ने 2904 मशीनों को निशाना बनाकर 24 लाख डॉलर यानी करीब 13 करोड़ रुपए चुरा लिए। इस काम में कंप्यूटर एक्सपर्ट्स शामिल थे, जिन्होंने हैकिंग के जरिए फाइनैंशल इन्फर्मेशन में हेर-फेर की। इसके अलावा कुछ और लोग भी थे, जिन्होंने एटीएम से पैसे निकाले। इस मामले में जिस पहले शख्स को गिरफ्तार किया गया है, वह पैसे निकाल कर अपने बैग में भरकर जा रहा था।
गुरुवार को सरकारी वकील ने ब्रुकलिन में 8 लोगों पर आरोप लगाया, इनमें वह संदिग्ध ग्रुपलीडर भी शामिल है, जिसे डोमिनिकन रिपब्लिक में 27 अप्रैल को मरा हुआ पाया गया था। वकील ने कहा कि न्यू यॉर्क सिटी के इतिहास में यह सबसे बड़ी चोरियों में से एक है। ब्रुकलिन में यूएस अटर्नी लॉरेटा इ लिंच ने कहा, 'बंदूकों और नकाबों की जगह इस साइबर क्राइम ऑर्गनाइजेशन ने लैपटॉप्स और इंटरनेट का इस्तेमाल किया है।'
आरोपों में बताया गया है कि किस तरह अपराधियों ने बैंकों से डेटा चुराया, उनकी मदद से दूर-दराज के नेटवर्क से पैसे चुराए और उसे रोलेक्स घड़ियों और महंगी कारों जैसे लग्जरी आइटम्स खरीदने पर खर्च किया।
पहली वारदात में हैकर्स ने एक ऐसी भारतीय क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी को निशाना बनाया, जो वीज़ा और मास्टरकार्ड प्रीपेड डेबिट कार्ड्स हैंडल करती है। कंप्यूटर सिक्युरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसी कंपनियां पर साइबर क्रिमिनल्स हमला करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये फाइनैंशनल इंस्टिट्यूशंस के मुकाबले कम सिक्योर होती हैं।
हैकर्स ने यूनाइटेड अरब अमीरात के नैशनल बैंक रास अल-खैयाम से जारी प्रीपेड मास्टरकार्ड डेबिट अकाउंट्स की विद्ड्रॉल लिमिट बढ़ाई। इस तरीके से वह बिना किसी का अकाउंट खाली किए ज्यादा पैसे निकाल सके और तुरंत किसी को पता भी नहीं चला। आरोप में कहा गया कि इस तरीके से कुछ ही बैंक अकाउंट के इस्तेमाल से बैंक को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
हैकर्स के पास केवल 5 अकाउंट नंबर थे, जिनकी जानकारी उन्होंने 20 देशों में भेजी और उन्हें मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड्स में इनकोड कर दिया गया। 21 दिसंबर को दुनिया भर में 4500 एटीएम ट्रांजैक्शन से 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 27 करोड़ रुपए चुराए। मास्टरकार्ड ने सीक्रेट सर्विस को चोरी होने के तुरंत बाद जानकारी दी।
22 सालों तक सीक्रेट सर्विस के स्पेशल एजेंट रह चुके सिक्युरिटी इनोवेशन नेटवर्क के चेयरमैन रॉबर्ड डी. रोड्रिग्ज ने कहा, 'उन लोगों ने सिस्टम में कमियां खोजीं और उनका इस्तेमाल किया। इंटरनेट और साइबरस्पेस में चीजें बहूत तेजी से बदलती हैं। हमें उनसे आगे रहने में बहुत मुश्किल हो रही है। चूंकि यह सारा मामला ग्लोबल होता है, इसलिए पता चलने पर भी तुरंत गिरफ्तारी मुमकिन नहीं हो पाती।'
दिसंबर की चोरी के बात यह गिरोह और निडर हो गया और 2 महीने के बाद इसने 4 करोड़ डॉलर यानी करीब 2 अरब रुपए की चोरी की। 19 फरवरी को पैसे निकालने के लिए लोग अमेरिका के मैनहटन के साथ-साथ 2 दर्जन और देशों में एटीएम पहुंचे। उन्हें बस ऊपर से ऑर्डर मिलने का इंतजार था। इस बार हैकर्स ने अमेरिका स्थित क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी को अपना निशाना बनाया, जो वीज़ा और मास्टरकार्ड प्रीपेड डेबिट कार्ड्स हैंडल करती है। आरोप में कंपनी का नाम नहीं बताया गया।
ओमान में बैंक ऑफ मस्कट से जारी कार्ड्स के 12 अकाउंट नंबर्स की लिमिट बढ़ाने के बाद इनका ग्रुप ऐक्शन में आया। 10 घंटे के भीतर इन्होंने 36 हजार ट्रांजैक्शन किए और 2 अरब रुपए चुराए। इनके ग्रुप में सबसे ज्यादा पैसे जापान में चुराए गए। इसकी वजह शायद यह है कि वहां के बैंक एक ही मशीन से ज्यादा पैसे निकालने की इजाजत देते हैं।
अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि हैक किए गए अकाउंट्स किन लोगों के हैं और इस लॉस के लिए कौन जिम्मेदार है। वकील के मुताबिक जापान, कनाडा, जर्मनी और रोमानिया समेत दर्जन भर से ज्यादा देशों की लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसीज़ इस मामले की जांच में शामिल हो चुकी हैं।
अथॉरिटीज़ के मुताबिक न्यू यॉर्क में पैसे निकालने वाले लोगों का लीडर 23 साल का अलबर्टो था, जिसकी लाश पिछले महीने डोमिनिकल रिपबल्कि में मिली थी। 7 और लोगों पर ऐक्सेस डिवाइस फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। वकील के मुताबिक ये सभी अमेरिकी नागरिक हैं। इनमें से एक की उम्र 35 साल है, जबकि बाकी सब 22 से 24 साल के हैं।