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Tuesday, 8 May 2012

રામ નો જન્મ સુપ્રીમ કોર્ટ નક્કી કરી આપસે.

http://www.divyabhaskar.co.in/article/NAT-advani-to-be-included-in-cbi-list-3228892.html


રામ નો  જન્મ સુપ્રીમ  કોર્ટ નક્કી કરી આપસે.
બાબરી મુદ્દે સુપ્રીમમાં અડવાણીને ઘેરશે CBI

Source: Agency, New Delhi   |   Last Updated 1:44 PM [IST](07/05/2012)
 
 

સીબીઆઈએ સુપ્રીમ કોર્ટને જણાવ્યું છે કે, બાબરી મસ્જિદના કેસમાં ભાજપના નેતા લાલકૃષ્ણ અડવાણી ઉપરથી મસ્જિદનો ધ્વંસ કરવા માટે ષડયંત્ર રચવાનું આરોપ હટાવવાની તેઓ વિરૂદ્ધ છે. એટલું જ નહીં પરંતુ તેઓ ઈચ્છે કે, અડવામી અને બીજા નેતાઓ પણ આરોપી કારસેવકોની જેમ કેસનો સામનો કરે.
-બાબરી મુદ્દે સુપ્રીમમાં અડવાણીને ઘેરશે CBI -કારસેવકોની જેમ કેસનો સામનો કરે ભાજપના નેતા -વધી શકે છે મુશ્કેલીઓ
આ કેસમાં પહેલા બે એફઆઈઆર નોંધાઈ હતી. એફઆઈઆર 197-92માં કારસેવકો સામે ફરિયાદ દાખલ કરવામાં આવી છે. આ કારસેવકોએ વિવાદાસ્પદ ઢાંચો તોડ્યો હતો. જ્યારે બીજી એફઆઈઆર 198-92 હેઠળ નોંધવામાં આવી હતી. જેમાં અડવાણી, મુરલી મનોહર જોશી. વિનય કટિયાર, ઉમા ભારતી, અશોક સિંઘલ, ગિરિરાજ કિશોર, વિષ્ણુહરિ ડાલમિયા અને ઋતુંભરા દેવી સામે હતા. જેમાં આરોપ મુકવામાં આવ્યો હતો કે, તેમણે કારસેવકોને ઉશ્કેરતા ભાષણ કર્યા હતા.
સીબીઆઈ દ્વારા તાજેતરમાં દાખલક રવામાં આવેલા સૌગંધ નામામાં જણાવવામાં આવ્યું હતું કે, પ્રથમ એફઆઈઆરમાંથી કેટલાક નામો હટાવી દેવામાં આવે. કારણ કે, બાંધકામને તોડવાનું કામ તેમણે પ્રત્યક્ષ રીતે કર્યું ન હતું. બંને એફઆઈઆર અલગ-અલગ નથી. કારણ કે, બંનેના તથ્યો અને ઘટનાસ્થળ એક જ છે.
અડવાણીને કઠેડામાં ઊભા રાખતા સીબીઆઈએ કહ્યું હતું કે, બાબરીની કાર્યવાહી શરૂ થતા પહેલાથી જ ત્યાં હાજર રહેલા નેતાઓના નામ બીજી એફઆઈઆરમાં છે. આ નેતાઓ મંચ પરથી લોકોને ઉશ્કેરી રહ્યાં હતા. જેના કારણે દંગા ફેલાઈ ગયા હતા અને કારસેવકોએ તોફાન મચાવી દીધું હતું.
ત્રીસ પેઈજની એફિડેવિટમાં સીબીઆઈએ દાવો કર્યો છે કે, જેવો બાબરીનો ધ્વંસ થયો હતો કે, આરોપી નેતાઓ તથા અન્યોએ તાળીઓ પાડી હતી અને એકબીજાને ભેંટ્યા હતા. આ તકે મંચ પરથી મીઠાઈનું વિતરણ પણ કરવામાં આવ્યું હતું. આરોપી નેતાઓનો મંચ બાબરીથી માત્ર 175 મીટરના અંતરે હતો અને અહીંથી બધું સ્પષ્ટ દેખાતું હતું.

7 comments:

  1. http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A6

    बाबरी मस्जिद (हिन्दी: बाबरी मस्जिद,उर्दू: بابری مسجد, अनुवाद: बाबर की मस्जिद ),
    उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अयोध्या शहर में रामकोट पहाड़ी ("राम का किला") पर एक मस्जिद थी.

    रैली के आयोजकों द्वारा मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने देने की भारत के सर्वोच्च न्यायालय से वचनबद्धता के बावजूद, 1992 में 150,000 लोगों की एक राजनीतिक रैली के दंगा में बदल जाने से यह विध्वस्त हो गयी.

    मुंबई और दिल्ली सहित कई प्रमुख भारतीय शहरों में इसके फलस्वरूप हुए दंगों में 2,000 से अधिक लोग मारे गये.

    भारत के प्रथम मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर 1527 में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था.
    पुजारियों से हिन्दू ढांचे या निर्माण को छीनने के बाद मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा. 1940 के दशक से पहले, मस्जिद को मस्जिद-इ-जन्मस्थान (हिन्दी: मस्जिद ए जन्मस्थान,उर्दू: مسجدِ جنمستھان, अनुवाद: "जन्मस्थान की मस्जिद") कहा जाता था, इस तरह इस स्थान को हिन्दू ईश्वर, भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है.
    पुजारियों से हिन्दू ढांचे को छीनने के बाद मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा.

    बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश, भारत के इस राज्य में 3 करोड़ 10 लाख मुस्लिम रहा करते हैं, की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक थी.

    हालांकि आसपास के जिलों में और भी अनेक पुरानी मस्जिदें हैं, जिनमे शरीकी राजाओं द्वारा बनायी गयी हज़रत बल मस्जिद भी शामिल है, लेकिन विवादित स्थल के महत्व के कारण बाबरी मस्जिद सबसे बड़ी बन गयी. इसके आकार और प्रसिद्धि के बावजूद, जिले के मुस्लिम समुदाय द्वारा मस्जिद का उपयोग कम ही हुआ करता था और अदालतों में हिंदुओं द्वारा अनेक याचिकाओं के परिणामस्वरूप इस स्थल पर राम के हिन्दू भक्तों का प्रवेश होने लगा. बाबरी मस्जिद के इतिहास और इसके स्थान पर तथा किसी पहले के मंदिर को तोड़कर या उसमें बदलाव लाकर इसे बनाया गया है या नहीं, इस पर चल रही राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक बहस को अयोध्या बहस के नाम से जाना जाता है

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  2. विध्वंस

    मुख्य लेख : Demolition of Babri Masjid
    16 दिसंबर 1992 भारत सरकार द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए बनी परिस्थितियों की जांच करने के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया. विभिन्न सरकारों द्वारा 48 बार अतिरिक्त समय की मंजूरी पाने वाला ,भारतीय इतिहास में सबसे लंबे समय तक काम करनेवाला यह आयोग है. इस घटना के l6 सालों से भी अधिक समय के बाद 30 जून 2009 को आयोग ने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी.

    रिपोर्ट की सामग्री नवंबर 2009 को समाचार मीडिया में लीक हो गयी. मस्जिद के विध्वंस के लिए रिपोर्ट ने भारत सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों और हिंदू राष्ट्रवादियों को दोषी ठहराया. इसकी सामग्री भारतीय संसद में हंगामे का कारण बनी.

    6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस के दिन जो कुछ भी हुआ था, लिब्रहान रिपोर्ट ने उन सिलसिलेवार घटनाओं के टुकड़ों कों एक साथ गूंथा था.
    रविवार की सुबह लालकृष्ण आडवाणी और अन्य लोगों ने विनय कटियार के घर पर मुलाकात की. रिपोर्ट कहती है कि इसके बाद वे विवादित ढांचे के लिए रवाना हुए. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कटियार पूजा की वेदी पर पहुंचे, जहां प्रतीकात्मक रूप से कार सेवा होनी थी, फिर आडवाणी और जोशी ने अगले 20 मिनट तक तैयारियों का निरीक्षण किया. इसके बाद दोनो वरिष्ठ नेता 200 मीटर की दूरी पर राम कथा कुंज के लिए रवाना हो गए. यह वह इमारत है जो विवादित ढांचे के सामने थी, जहां वरिष्ठ नेताओं के लिए एक मंच का निर्माण किया गया था.

    दोपहर में, एक किशोर कार सेवक कूद कर गुंबद के ऊपर पहुंच गया और उसने बाहरी घेरे को तोड़ देने का संकेत दिया. रिपोर्ट कहती है कि इस समय आडवाणी, जोशी और विजय राजे सिंधिया ने "... या तो गंभीरता से या मीडिया का लाभ उठाने के लिए कार सेवकों से उतर आने का औपचारिक अनुरोध किया. पवित्र स्थान के गर्भगृह में नहीं जाने या ढांचे को न तोड़ने की कार सेवकों से कोई अपील नहीं की गयी थी. रिपोर्ट कहती है: "नेताओं के ऐसे चुनिंदा कार्य विवादित ढांचे के विध्‍वंस को पूरा करने के उन सबके भीतर छिपे के इरादों का खुलासा करते हैं

    रिपोर्ट का मानना है कि "राम कथा कुंज में मौजूद आंदोलन के प्रतीक ... तक बहुत ही आसानी से पहुंच कर ... विध्वंस को रोक सकते थे."

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  3. विध्वंस में अग्रिम योजना बनाई गई



    पूर्व खुफिया ब्यूरो (आईबी) के संयुक्त निदेशक मलय कृष्ण धर ने 2005 की एक पुस्तक में दावा किया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की योजना 10 महीने पहले आरएसएस, भाजपा और विहिप के शीर्ष नेताओं द्वारा बनाई गई थी और इन लोगों ने इस मसले पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव द्वारा उठाये गए कदम पर सवाल उठाया था. धर ने दावा किया है कि भाजपा/संघ परिवार की एक महत्वपूर्ण बैठक की रिपोर्ट तैयार करने का प्रबंध करने का उन्हें निर्देश दिया गया था और उस बैठक ने "इस शक की गुंजाइश को परे कर दिया कि उनलोगों (आरएसएस, भाजपा, विहिप) ने आनेवाले महीने में हिंदुत्व हमले का खाका तैयार किया और दिसंबर 1992 में अयोध्या में 'प्रलय नृत्य' (विनाश का नृत्य) का निर्देशन किया... बैठक में मौजूद आरएसएस, भाजपा, विहिप और बजरंग दल के नेता काम को योजनाबद्ध रूप से अंजाम देने की बात पर आपसी सहमति से तैयार हो गए." उनका दावा है कि बैठक के टेप को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपने बॉस के सुपुर्द किया, उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि उन्हें इसमें कोई शक नहीं है कि उनके बॉस ने उस टेप की सामग्री को प्रधानमंत्री (राव) और गृह मंत्री (एसबी चव्हाण) को दिखाया. लेखक ने दावा किया है कि यहां एक मूक समझौता हुआ था जिसमें अयोध्या ने उन्हें "राजनीतिक लाभ उठाने के लिए हिंदुत्व की लहर को शिखर पर पहुंचाने का एक अद्भुत अवसर" प्रदान किया.



    लिब्रहान आयोग के निष्कर्ष



    मुख्य लेख : Liberhan Commission Findings



    न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह लिब्राहन द्वारा लिखी गयी रिपोर्ट में मस्जिद के विध्वंस के लिए 68 लोगों को दोषी ठहराया गया है - इनमें ज्यादातर भाजपा के नेता और कुछ नौकरशाह हैं. रिपोर्ट में पूर्व भाजपा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और संसद में पार्टी के तत्कालीन (2009) नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम लिया गया हैं. कल्याण सिंह, जो मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, की भी रिपोर्ट में कड़ी आलोचना की गयी. उन पर अयोध्या में ऐसे नौकरशाहों और पुलिस को तैनात करने का आरोप है, जो विध्वंस के दौरान मूक बन कर खड़े रहे.[



    लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में राजग सरकार में भूतपूर्व शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी को भी विध्वंस में दोषी ठहराया गया है. एक भारतीय पुलिस अधिकारी अंजू गुप्ता अभियोजन गवाह के रूप में पेश की गयीं. विध्वंस के दिन वे आडवाणी की सुरक्षा प्रभारी थीं और उन्होंने खुलासा किया कि आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी ने भड़ाकाऊ भाषण दिए.

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  4. http://www.hindustantimes.com/India-news/NewDelhi/SC-to-hear-Babri-demolition-case-on-July-25/Article1-850569.aspx

    SC to hear Babri demolition case on July 25
    Agencies
    New Delhi, May 04, 2012
    First Published: 15:12 IST(4/5/2012)
    Last Updated: 15:14 IST(4/5/2012)

    The Supreme Court will hear on July 25 the CBI application seeking revival of criminal conspiracy charges in Babri Masjid demolition case against top leaders including LK Advani and Shiv Sena chief Bal Thackerey. The CBI in its application has challenged the Allahabad high court order dropping the charges of criminal conspiracy against leaders including MM Joshi, Sadhvi Ritambara, Vinay Katiyar, Ashok Singhal, Praveen Togadia, Uma Bharti and others.

    According to the CBI, the Masjid was demolished on December 6, 1992, by karsevaks following inflammatory speeches delivered by these leaders and the entire operation was pre-planned.

    The then Uttar Pradesh chief minister Kalyan Singh was given a symbolic sentence of one day by the Supreme Court after his government failed to protect the Masjid in Ayodhya despite the assurances given by the UP government that the structure would be protected at all costs.

    A bench comprising Justices HL Dattu and CK Prasad fixed the date after hearing the counsel for CBI

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  5. http://www.deccanherald.com/content/240666/asi-fails-give-details-works.html

    ASI fails to give details on works at Ayodhya site
    New Delhi, April 8 2012, DHNS:

    The Archaeological Survey of India (ASI) has failed to provide details of the excavations carried out by it on the disputed site of Ram Janmbhoomi-Babri Masjid at Ayodhya under the Right to Information (RTI) Act despite the directions of the Central Information Commission (CIC).

    Noted RTI activist S C Agrawal, who had sought the information, has now approached the transparency panel again to demand the setting up a mechanism to oversee the implementation of its own orders.

    “It has become a usual trend with many public authorities to not care for directions/orders given by CIC. Many petitioners sit quietly with public authorityconcerned not responding to CIC verdicts. CIC should be given more powers to act against non-complying public authorities to save its image being taken as paper-tiger,” he said.

    Agrawal suggested that the CIC could take necessary steps to monitor compliance of its verdicts without requiring petitioners to approach the Commission for non-compliance of CIC verdicts.

    “All CIC verdicts can have uniform dates of compliance on the 10th, 20th and 30/31st day of a month. Files may be kept pending till a copy of compliance reaches the Commission.

    Thereafter automatic procedure for non-compliance may be initiated by the Commission at its own level. It should not be difficult in the present era of computerisation. If required, Department of Personnel & Training (DoPT) should be approached for additional staff for smooth working at CIC,” he said.

    He pointed out that the ASI had failed to comply with the direction issued by Chief Information Commissioner Satyananda Misra on February 29.

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  6. http://www.indianexpress.com/news/nothing-famous-or-infamous-about-babri-demolition-its-just-an-incident-sc/900268/

    Nothing famous or infamous about Babri demolition, it's just an incident: SC

    americanexpress.com

    Agencies : New Delhi, Mon Jan 16 2012, 16:48 hrs
    Babri Masjid demolition

    The Babri Masjid demolition is just an incident and there is nothing famous or infamous about it, the Supreme Court said on Monday while listing CBI's plea for levelling charges of criminal conspiracy against senior BJP leader L K Advani, Shiv Sena chief Bal Thackeray and 18 others to March 27.

    "What is famous about it? It was an incident, which happened and parties are before us. It is not famous or infamous," a Bench of Justices H L Dattu and C K Prasad said when the Additional Solicitor General said at the beginning of the proceeding that the matter is related to "famous" Babri Masjid demolition case.

    The proceeding before the Bench could not go on as it was mentioned that some of the parties in the case have not filed their response and the case was then adjourned for March.

    The apex court had on March 4 last year issued notice to 21 people including Advani, Thackeray, Kalyan Singh, Uma Bharti, Satish Pradhan, CR Bansal, MM Joshi, Vinay Katiyar, Ashok Singhal, Giriraj Kishore, Sadhvi Ritambhara, VH Dalmia, Mahant Avaidhynath, RV Vedanti, Param Hans Ram Chandra Das, Jagdish Muni Maharaj, BL Sharma, Nritya Gopal Das, Dharam Das, Satish Nagar and Moreshwar Save.

    The court had asked all of them to file their response on why criminal conspiracy charges should not be revived against them in the Babri Masjid demolition case.

    It had passed the order on an appeal filed by CBI challenging the May 21, 2010 Allahabad High Court judgement upholding a special court's decision to drop the charges against the leaders.

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  7. http://timesofindia.indiatimes.com/india/Ayodhya-case-BJP-accuses-CBI-of-playing-partisan-role/articleshow/13049725.cms

    Ayodhya case: BJP accuses CBI of playing 'partisan' role
    PTI | May 8, 2012, 02.58PM IST

    NEW DELHI: The BJP on Tuesday accused the CBI of playing a "partisan" role in pursuing the Ayodhya case against party leader L K Advani and decided to raise the issue in Parliament.

    At its weekly meeting here, the BJP parliamentary party discussed the role of the CBI in a number of cases and decided that these issues be raised in both Houses with the utmost seriousness.

    "We discussed how despite the Supreme Court rejecting Advani's role in Ayodhya case time and again, the CBI is pursuing this case with an ulterior motive and engaging in selective leaks to the media though the matter is pending in the Supreme Court. This is deplorable," BJP chief spokesperson Ravi Shankar Prasad said, adding that at the same time, the CBI is also shielding the government in corruption cases.

    "The deliberate witch-hunting by the CBI in the Ayodhya case was discussed in our meeting. The Supreme Court has thrice rejected the plea that the two cases (regarding Babri Masjid demolition) need to be clubbed. But the CBI has raked up the issue again after 11 years," Prasad said.

    "The CBI is working through an agenda as a front of the Congress party. When Parliament is in session, it is deliberately playing the political game of the Congress party...The sinister, malafide, motivated partisan role of the CBI in the last two months shall be highlighted inside and outside Parliament," Prasad said.

    The BJP also decided to demand suspension of Question Hour in both Houses to discuss the Aircel-Maxis deal in which then finance minister P Chidambaram's son was allegedly favoured.

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