==વીવેકપંથ==
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WHO's Tedros expects world to hit 10 million coronavirus cases next week
FILE PHOTO: Director General of the World Health Organization (WHO) Tedros Adhanom Ghebreyesus attends a news conference on the situation of the coronavirus (COVID-2019), in Geneva, Switzerland, February 28, 2020. REUTERS/Denis Balibouse/File Photo
GENEVA (Reuters) - World Health Organization Director General Tedros Adhanom told a news briefing on Wednesday that he expected the number of novel coronavirus cases around the world, now at about 9.3 million, to reach 10 million next week.
Reporting by Emma Farge annd John Miller; Writing by Kevin Liffey; Editing by Gareth Jones
अमरीका के टेक्सास प्रांत के डलास शहर में रहने वाले विनोद कुमार आज कल डरे हुए से रहते हैं. उन्हें लगता है कि एक रोज़ उन्हें ये देश छोड़कर जाना होगा.
ट्रंप प्रशासन में अप्रवासन संबंधी पाबंदियों, सीमा पर दीवार, वीज़ा में देरी जैसे मुद्दों पर जिस तरह से बयानबाज़ी तेज़ हो रही है, उससे विनोद कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में जिस सरकारी आदेश पर दस्तख़त किए हैं, उसमें कुछ ग्रीन कार्ड्स और विदेश से काम करने के लिए आने वाले लोगों को साल 2020 तक वीज़ा देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है.
विनोद कुमार इन सब बातों से आज कल बेचैन रहते हैं. वे कहते हैं, "काश कि मैं इस मुल्क को अपना घर बना पाता. लेकिन मैं आज कल डर के इसी साये में जी रहा हूं."
अप्रवासन मुद्दों के जानकारों को इन क़दमों की पहले से ही उम्मीद थी. एक विशेषज्ञ ने तो यहां तक कहा कि उद्योग जगत की तरफ़ से की गई एक भी पैरवी किसी काम नहीं आई.
गूगल के सुंदर पिचाई और एप्पल के टिम कुक जैसे सिलिकॉन वैली के बड़े नामों ने इस सरकारी आदेश पर अफ़सोस जताया है.
कंपनियों और विश्वविद्यालयों के कामकाज में बाधा पहुंचने की आशंकाएं जताई जा रही हैं. ट्रंप के हालिया फ़रमान से पहले अप्रैल में कुछ ग्रीन कार्ड्स पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी गई थी.
विनोद डेढ़ बरस पहले अमरीका आए थे, इससे पहले उनकी नौकरी यूरोप में थे. उनका बेटा इसी मुल्क में पैदा हुआ है. वे टेक्नॉलॉजी सेक्टर में काम करते हैं और उनके पास H-1B वीज़ा है.
विनोद कहते हैं, "मैं यहां बेहतर ज़िंदगी और बेहतर जीवन-स्तर के लिए आया था." लेकिन इस नए सरकारी आदेश ने बहुत से भारतीयों को निराश कर दिया है.
उनके कई सवाल हैं, क्या वे अपने घर भारत जाएं या नहीं, क्या होगा अगर उन्हें वापस लौटने से रोक दिया गया?
टेक्नॉलॉजी सेक्टर
सैन फ्रांसिस्को में टेक्नॉलॉजी सेक्टर में ही काम करने वाले शिवा कहते हैं, "ऑफ़िस के वकील अमरीका से बाहर की यात्रा नहीं करने की सलाह दे रहे हैं."
शिवा अपना सरनेम नहीं ज़ाहिर करना चाहते हैं. इस आदेश ने घबराहट का एक माहौल बना दिया है और ग्रेग सिस्किंड जैसे वकीलों के पास उनके मुवक्किल कई तरह के सवाल लेकर आ रहे हैं.
ग्रेग सिस्किंड बताते हैं, "क्या होगा अगर स्पाउस (पति या पत्नी) या बच्चे अमरीका के बाहर हैं और वे मुख्य आवेदक नहीं हैं? क्या जीवनसाथी और बच्चों को अमरीका लौटने के लिए साल के आख़िर तक इंतज़ार करना होगा? इस तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं."
रूपांशी नाम की एक महिला ने ट्वीट करके बताया कि वे और उनकी बेटी H4 वीज़ा पर मुहर लगवाने के लिए भारत गई थीं और वे वहीं फँस गईं जबकि उनके पति अमरीका में हैं.
अमरीका में अप्रवासन संबंधी नियम क़ानूनों को लेकर पिछले कुछ समय से इस तरह की अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है कि विनोद कुमार के कुछ भारतीय दोस्त तो घर लौट गए.
वो बताते हैं, "मेरे कुछ दोस्त तो कनाडा से अमरीका आए थे. उन्हें लगता था कि अमरीका पसंद आएगा. यहां रहना उनका पुराना ख़्वाब था लेकिन वे वापस लौट गए."
ट्रंप प्रशासन
विनोद कुमार कहते हैं, "मेरे दोस्त कहते हैं कि भले ही हम कनाडा में ज़्यादा टैक्स भरते थे लेकिन ये बुरा नहीं लगता था क्यों कम से कम वहां के लोग हमारा स्वागत तो करते थे. यहां अमरीका में हमें ऐसा नहीं लगा कि लोगों को हमारे आने से ख़ुशी हुई हो. हमें लगता है कि हम यहां बाहरी लोग हैं. यही सच है. मुझे भी लगता है कि मैं यहां का नहीं हूं. मुझे महसूस नहीं होता कि मैं यहां की किसी भी चीज़ का हिस्सा हूं."
एक दूसरे शख़्स ने मुझे मैसेज किया, "गूगल के एक सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर ने मुझे अभी-अभी मेल किया है. वे कह रहे हैं कि वो भारत अपने घर वापस लौटना चाहते हैं."
लेकिन ट्रंप प्रशासन का ये दावा है कि नया ऑर्डर अमरीका के हित में है.
इस ऑर्डर में दावा किया गया है, "साल 2020 के फ़रवरी से अप्रैल महीने के बीच अमरीका में एक करोड़ सत्तर लाख नौकरियां घटीं. जिन्हें अब कंपनियाँ H2B वीज़ा पर आए लोगों से भरना चाहती हैं. इसी अवधि में दो करोड़ से अधिक अमरीकियों की भी नौकरी गई, जिन्हें अब कंपनियाँ H-1B और L वीज़ा वालों से भरने का निवेदन कर रही हैं."
अमरीका में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से कारोबार हफ़्तों बंद रहा और इससे लाखों अमरीकियों की नौकरी चली गई.
अमरीकी अर्थव्यवस्था
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि ताज़ा आदेश से अमरीकी नौकरियां केवल अमरीकी लोगों को मिल सकेगी और विदेशों से आने वाले लोग ये नौकरियां छीन नहीं पाएंगे.
अप्रवासन मामलों के वकील ग्रेग सिस्किंड कहते हैं, "इस बात के कोई सबूत नहीं है कि वाक़ई में ऐसा है. अमरीकी लोगों के लिए रोज़गार के अवसरों में कुल मिलाकर गिरावट होने जा रही है क्योंकि आर्थिक विकास अवरुद्ध होने जा रहा है."
ग्रेग सिस्किंड को लगता है कि कंपनियां अपना ठिकाना अमरीका से हटाकर कनाडा या मेक्सिको ले जाने के बारे में सोचना शुरू कर सकती हैं और इस आदेश की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आलोचना हो सकती है.
अप्रवासन मामलों के जानकार डेविड बायर कहते हैं, "अगर राष्ट्रपति ट्रंप अर्थव्यवस्था में ज़बर्दस्त सुधार चाहते हैं तो विदेशी निवेश का तरीक़ा बदलकर, प्रतिभाशाली और कुशल लोगों को बाहर करके और इस बुरे दौर में अपना कारोबार बचाने की कोशिश कर रहे उद्यमियों को सज़ा देना, ऐसा करने का ठीक तरीक़ा नहीं है."
इस आदेश से ग़ैर-अप्रवासी क़िस्म के जो जिन वीज़ा श्रेणियों पर असर पड़ा है, उनमें H-1B, H-2B, J-1s और L वीज़ा शामिल हैं.
भारतीयों को कई तरह से नुक़सान
H-1B कैटिगरी के ज़्यादातर वीज़ा टेक्नॉलॉजी कंपनियों को जाते हैं. H-2B श्रेणी के वीज़ा अस्थाई कर्मचारियों को जारी किए जाते हैं. J-1 शॉर्ट टर्म वीज़ा है जो रिसर्चर्स और स्कॉलर्स को जारी किया जाता है. L श्रेणी क वीज़ा पर कंपनियां अपने अधिकारियों और प्रंबधकों को अमरीका भेजती हैं.
ट्रंप प्रशासन का ये आदेश यहां रह रहे भारतीयों को कई तरह से नुक़सान पहुंचा सकता है. अमरीका में साल 2019 में 388,403 H-1B वीज़ा धारक रह रहे थे, इनमें 278,491 भारत से थे.
साल 2019 में H-1B वीज़ा के लिए जितने आवेदनों को मंज़री दी गई, उनमें 71.7 फीसदी भारत से थे.
साल 2019 में तक़रीबन 77 हज़ार L-1 वीज़ा जारी किए गए. आंकड़ें बताते हैं कि इनमें 18,350 भारतीयों को जारी किए गए.
राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थक इस बात से ख़ुश दिख रहे हैं. वे प्रवासियों के अमरीका आने पर पाबंदी लगाने की माँग करते रहे हैं.
H-1B वीज़ा का लॉटरी सिस्टम
ट्रंप के एक समर्थक ने ट्वीट किया, "अमरीकी नागरिकों को नौकरी पर रखो. H-1B वीज़ा धारक अवैध तरीक़े से रोज़गार हासिल करने के लिए अपने परिवारवालों को अमरीका लाते हैं और यहां से अरबों डॉलर भारत और चीन प्रोपर्टी बनाने के लिए भेज देते हैं जबकि हम यहां टैक्स भरते हैं."
कहा जाता है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीज़ा सिस्टम में सुधार के लिए कहा है. इसके तहत ज़्यादा वेतन पाने वाले उच्च दक्षता वाले वर्कर्स को प्राथमिकता देने की बात कही गई है.
अतीत में भारतीय टेक्नॉलॉजी कंपनियों पर H-1B वीज़ा के लॉटरी सिस्टम की कमियों का फ़ायदा उठाने का आरोप लगता रहा है.
आलोचक ट्रंप पर ये आरोप लगा रहे हैं कि वे इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनज़र अपना जनाधार पुख्ता करने की कोशिश कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप की बेक़रारी की यही वजह है. कुछ चुनाव सर्वेक्षणों में ये भी कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जोए बिडेन से पीछे चल रहे हैं. हाल ही में ओक्लाहोमा की तुलसा इलेक्शन रैली में ख़ाली कुर्सियां देखी गई थीं.
ट्रंप पर ये भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने अप्रवासन पर अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए कोरोना महामारी का अवसर की तरह इस्तेमाल किया है.
राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना
राष्ट्रपति ट्रंप के क़रीबी माने जाने वाले सिनेटर लिंड्से ग्राहम ने भी उनकी अप्रवासन नीति की आलोचना की है. वे साउथ कैरोलिना से दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, "वे लोग जो वैध अप्रवासन पर यक़ीन रखते हैं, ख़ासकर जो ये मानते हैं कि वर्क वीज़ा अमरीकी लोगों के लिए नुक़सानदेह हैं, वे अमरीकी अर्थव्यवस्था को नहीं समझते हैं."
साउथ कैरोलिना विदेशी निवेश की पसंदीदा जगह रही है और लिंड्से ग्राहम का ये कहना विदेशी कंपनियों की चिंताओं को दर्शाता है.
माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन के आदेश को अदालत में भी चुनौती दी जाएगी.
अमरीकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन के जेसी ब्लेस कहते हैं, "हमें पूरा यक़ीन है कि अदालतें हमारी सरकार को इस ख़तरनाक रास्ते पर नहीं जाने देंगी जहां प्रशासन को ये लगता है कि वे क़ानूनों को अपने तरीक़े से लिख सकती हैं."
इस बीच विनोद कुमार का कहना है कि उन्होंने भारत में नौकरियों की तलाश शुरू कर दी है.
"कंपनियां ग्रीन कार्ड धारी नागरिकों को नौकरी पर रखने के लिए खोज रही हैं... क़रीब दस कंपनियों ने मुझसे संपर्क भी किया लेकिन उनमें से सभी ने मुझे ख़ारिज कर दिया क्योंकि मैं H-1B वीज़ा पर था."
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वो भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर नज़र रखे हुए हैं और मदद करना चाहते हैं.
ट्रंप ने कहा है कि अमरीका भारत और चीन से बातचीत कर रहा है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस के बाहर पत्रकारों से कहा, "ये बहुत मुश्किल परिस्थति है. हम भारत से बात कर रहे हैं. हम चीन से भी बात कर रहे हैं. वहां उन दोनों के बीच बड़ी समस्या है. दोनों एक दूसरे के सामने आ गए हैं और हम देखेंगे कि आगे क्या होगा. हम उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं."
15-16 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए हिंसक संघर्ष में भारत के कमांडिंग ऑफ़िसर समेत बीस सैनिक मारे गए थे. चीन के भी कई सैनिकों के हताहत होने की ख़बर है लेकिन चीन ने आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है.
भारत और चीन के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए अमरीकी राष्ट्रपति ने बीते महीने सोशल मीडिया पर कहा था कि वो भारत और चीन के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं.
माइक पोम्पियो ने कहा था, "हम चीन के साथ हाल में हुए संघर्ष की वजह से हुई मौतों के लिए भारत के लोगों के साथ गहरी संवेदना जताते हैं. हम इन सैनिकों के परिवारों, उनके आत्मीय जनों और समुदायों का स्मरण करेंगे. ऐसे समय जब वो शोक मना रहे हैं."