welcome હાર્દીક સ્વાગત Welcome

આ બ્લોગ ઉપર આવવા બદલ આપનું હાર્દીક સ્વાગત છે.

આ બ્લોગ ઉપર સામાન્ય રીતે ઉંઝા સમર્થક લખાંણ હોય છે જેમાં હ્રસ્વ ઉ અને દીર્ઘ ઈ નો વપરાશ હોય છે.

આપનો અભીપ્રાય અને કોમેન્ટ જરુર આપજો.



https://www.vkvora.in
email : vkvora2001@yahoo.co.in
Mobile : +91 98200 86813 (Mumbai)
https://www.instagram.com/vkvora/

Tuesday 29 September 2020

एमनेस्टी इंटरनेशल ने भारत में काम क्यों समेटा?

from BBC Hindi ... ... https://www.bbc.com/hindi/india-54336302 ... ... अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम बंद करने की घोषणा की है. उसने ये फ़ैसला हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संस्था के खातों को फ़्रीज़ करने के बाद किया है. ईडी ने सीबीआई की ओर से पिछले साल दर्ज एक एफ़आईआर के बाद अलग से जाँच शुरू की थी. एमनेस्टी पर विदेशी चंदा लेने के बारे में बने क़ानून एफ़सीआरए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. एमनेस्टी ने एक बयान में अपना काम बंद करने के लिए "सरकार की बदले की कार्रवाई" को ज़िम्मेदार बताया है. .. .. भारत सरकार ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. .. .. एमनेस्टी ने अपने बयान में कहा है, "10 सितंबर को एमनेस्टी इंटरनेशल इंडिया को पता चला कि ईडी ने उसके सारे बैंक खातों को फ़्रीज़ कर दिया है, जिससे मानवाधिकार संस्था के अधिकतर काम ठप हो गए हैं." ... ... उसने आगे लिखा है, "ये मानवाधिकार संगठनों के ख़िलाफ़ भारत सरकार की ओर से बेबुनियाद और ख़ास मक़सद से लगाए गए आरोपों के आधार पर चलाए जा रहे अभियान की एक ताज़ा कड़ी है." FCRA: मोदी सरकार ने छह सालों में क्या NGO के लिए एक मुश्किल दौर बनाया है? एमनेस्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी रजत खोसला ने बीबीसी से कहा, "हम भारत में एक अभूतपूर्व परिस्थिति का सामना कर रहे हैं. हमें सरकार की ओर से एक व्यवस्थित तरीक़े से लगातार हमलों, दादागिरी और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और ये केवल इसलिए हो रहा है कि हम मानवाधिकार से जुड़े काम कर रहे हैं और सरकार हमारे उठाए सवालों का जवाब नहीं देना चाह रही है, वो चाहे दिल्ली दंगों को लेकर हमारी पड़ताल हो या जम्मू-कश्मीर में लोगों की आवाज़ों को ख़ामोश करना." सरकार पर उठाए थे सवाल एमनेस्टी ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि फ़रवरी में दिल्ली में हुए दंगों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ था. दिल्ली पुलिस ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए अख़बार द हिंदू से कहा था कि एमनेस्टी की रिपोर्ट "एकतरफ़ा, पक्षपाती और विद्वेषपूर्ण" है. इस साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म किए जाने के एक साल पूरा होने पर एमनेस्टी ने हिरासत में रखे गए सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को रिहा किए जाने और सामान्य इंटरनेट सेवा बहाल करने की माँग की थी. ... ... 2019 में एमनेस्टी ने अमरीका में विदेश मामलों की एक समिति के सामने दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर सुनवाई के दौरान कश्मीर के बारे में अपनी पड़ताल को पेश किया था. एमनेस्टी बार-बार ये कहते हुए सरकार की आलोचना करती रही है कि भारत में असंतोष का दमन किया जा रहा है. 2016 के अगस्त में, एमनेस्टी इंडिया के ख़िलाफ़ ये आरोप लगाते हुए देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था कि उसके एक कार्यक्रम में भारत विरोधी नारे लगे. तीन साल बाद, एक अदालत ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया था. 2018 के अक्तूबर में एमनेस्टी के बेंगलुरू स्थित दफ़्तरों पर ईडी ने छापा मारा था. तब भी उसके खाते फ़्रीज़ कर दिए गए थे, लेकिन एमनेस्टी ने कहा कि अदालत के हस्तक्षेप के बाद उसे खाते से लेन-देन की मंज़ूरी मिल गई. फिर 2019 में संस्था के अनुसार उसके दर्जनों चंदा देने वालों को इनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया. इसी साल उसके दफ़्तरों पर फिर छापे पड़े, लेकिन इस बार ये छापे सीबीआई ने मारे. एमनेस्टी इंटरनेशनल को इससे पहले कांग्रेस की अगुआई वाली गठबंधन सरकार के कार्यकाल में भी मुश्किल हुई थी. 2009 में भी उसने भारत में अपना काम स्थगित कर दिया था. तब संस्था का कहना था कि विदेशों से चंदा लेने के लिए उसका लाइसेंस बार-बार रद्द किया जा रहा था. .. .. .. .. विदेशी चंदा भारत में पिछले कई सालों से विदेशी चंदा लेने को लेकर बने नियमों को सख़्त किया जाता रहा है और हज़ारों ग़ैर-सरकारी संगठनों पर विदेशों से चंदा लेने पर पाबंदी लगाई गई है. मौजूदा मोदी सरकार ने पहले कहा था कि एमनेस्टी के ख़िलाफ़ विदेशी चंदा लेने के क़ानून का उल्लंघन करने के संदेह में जाँच की जा रही है. एमनेस्टी के अधिकारी रजत खोसला कहते हैं, "ये सफ़ेद झूठ है. एमनेस्टी इंडिया ने सभी घरेलू और क़ानूनी शर्तों का पालन किया है." उन्होंने कहा, "ऐसे क़दमों से भारत अच्छे देशों के समूह से अलग दिखता है. हम 70 से ज़्यादा देशों में काम कर रहे हैं, और इससे पहले किसी और देश में अगर हमने काम बंद किया है तो वो 2016 में रूस में किया था. " "मुझे उम्मीद है दुनिया भर में लोग इसे ध्यान से देखेंगे. हम ये फ़ैसला बहुत ही बोझिल दिल से और क्षुब्ध और दुखी होते हुए कर रहे हैं." एमनेस्टी ने कहा है कि वो भारत में अपने मुक़दमों को लड़ना जारी रखेगी.
... .... .... ... From BBC Hindi

Thursday 24 September 2020

कोरोना वायरस के कारण चार सांसदों और कई विधायकों की गई जान

https://www.bbc.com/hindi/india-54276634 From BBC Hindi कोरोना वायरस के कारण बुधवार को केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का एम्स में निधन हो गया. 11 सितंबर को कोरोना पॉज़िटिव रिपोर्ट आने के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. सुरेश अंगड़ी 65 साल के थे. भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब तक कोरोना वायरस के कारण गुरुवार सुबह तक 91,149 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,732,519 लोग वायरस से संक्रमित हैं. इनमें से 9,66,382 एक्टिव मामले हैं. सुरेश अंगड़ी की तरह कोरोना वायरस ने कई जनप्रतिनिधियों की जान ली है. पूर्व राष्ट्रपति, चार सांसद और कई विधायक इसके कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का है. वो सेना के आर एंड आर अस्पताल में ब्रेन सर्जरी के लिए भर्ती हुए थे जहां वो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए. संक्रमण के चलते उनकी हालत और बिगड़ गई और 31 अगस्त को उनकी मौत हो गई. 16 सिंतबर को आंध्र प्रदेश में तिरुपति से सांसद बल्ली दुर्गा प्रसाद की चेन्नई के अपोलो अस्पताल में कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई थी. बल्ली दुर्गा प्रसाद युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी से थे. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया था. 64 साल के दुर्गा प्रसाद नेल्लूर में गुडुर से विधायक रह चुके थे. इसी दौरान राज्यसभा सांसद अशोक गस्ती का भी कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया. अशोक गस्ती बीजेपी के कर्नाटक से सांसद थे. अशोक गस्ती हाल ही में राज्यसभा सांसद चुने गए थे और वह एक बार भी संसद नहीं पहुंचे थे. 55 साल के अशोक गस्ती को मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर की दिक़्क़त हो गई थी और वो लाइफ़ सपोर्ट पर थे. इससे पहले 28 अगस्त को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कांग्रेस सांसद एच वसंतकुमार चल बसे थे. 70 साल के वसंतकुमार को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के चलते 10 अगस्त को चेन्नई में भर्ती कराया गया था. इसके अलावा यूपी, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कई विधायकों की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई है. उत्तर प्रदेश में एक महीने में ही दो मंत्रियों की जान चली गई. योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में एकमात्र महिला मंत्री कमल रानी वरुण की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई थी. कमल रानी वरुण यूपी की तकनीकी शिक्षा मंत्री थीं. उनके बाद क्रिकेटर से नेता बने नागरिक सुरक्षा मंत्री चेतन चौहान भी कोरोना वायरस के कारण जान गंवा बैठे. चेतन चौहान को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था क्योंकि वायरस के चलते उनकी किडनी में समस्या आ गई थी. इसी दौरन मध्य प्रदेश से कांग्रेसी विधायक गोवर्धन डांगी की 15 सितंबर को कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई थी. गोवर्धन डांगी राजगढ़ में ब्यावरा से विधायक थे. पश्चिम बंगाल में टीएमसी विधायक समरेश दास और पार्टी में उनके सहकर्मी तमोनाश घोष की भी कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई थी. पूर्वी मिदनापुर में एगरा से विधायक समरेश दास 76 साल के थे और उन्हें किडनी संबंधी दिक़्क़त हो गई थी. 60 साल के तमोनाश घोष दक्षिण 24 परगना ज़िले में फाल्टा से विधायक थे. वहीं, तमिलनाडु में डीएमके नेता जे अंबाझगन की जून में कोरोना वायरस के कारण जान चली गई थी. अंबाझगन चेपुक-तिरुवल्लीकेनी से विधायक थे. इसके अलावा लेह से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री पी नामग्याल की भी जून में मौत हो गई. वो मौत के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. 83 साल के पी नामग्याल राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे थे. इसी महीने महाराष्ट्र के सांसद हरिभाऊ जावले भी कोरोना वायरस के कारण चल बसे. पुणे में पंढारपुर से पाँच बार विधायक रहे सुधारक परिचारक की भी अगस्त में कोरोना वायरस के कारण मृत्यु हो गई. 76 साल के सीपीआईएम नेता श्यामल चक्रबर्ती की भी कोविड-19 के चलते मौत हो गई. वह परिवहन मंत्री रह चुके हैं. गृह मंत्री अमित शाह भी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे लेकिन इलाज़ के बाद वो ठीक हो गए थे. गृह मंत्री अमति शाह, केंद्रीय सड़क परिवहन एंड राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, आप विधायक आतिशी मार्लेना और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व पीडब्ल्यू मंत्री अशोक चव्हाण भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. लेकिन इन सभी नेताओं ने कोरोना को मात दी और स्वस्थ होकर घर लौटे. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बुधवार की रात एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी कोरोना पॉज़िटिव हैं और उनका इलाज़ चल रहा है. इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को भी जून में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था. हालांकि, वो कोरोना से ठीक हो गए थे लेकिन, कई और परेशानियों के चलते 13 सितंबर को उनका निधन हो गया.