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Tuesday, 12 November 2013

મંગળયાનની જન્મકુંડલી

મંગળયાનની જન્મકુંડલી

ભારતે મંગળ ઉપર યાન મોકલેલ છે અને આવા તો હજારો સેટેલાઈટ પૃથ્વી આસપાસ ફરે છે. બધાની જન્મ કુંડલી જોવી છે? કઈ ઝડપથી અને કેમ ફરે છે વગેરે નકશાઓ પણ છે...

REAL TIME SATELLITE TRACKING

http://www.n2yo.com/satellite/?s=39370


SINGLE TRACKING
http://www.n2yo.com/?s=39370


http://www.bbc.co.uk/news/world-asia-india-24907995

India's mission to Mars has overcome a technical problem and appears to be back on track, the country's space research agency says.
The problem occurred on Monday when a planned engine burn failed to raise the spacecraft's orbit around Earth by the intended amount.
The Indian Space Research Organisation (Isro) has now pushed the spacecraft to a higher orbit as planned.
Isro officials said its final orbit "will be known in a few hours".
The problem occurred during a manoeuvre designed to boost the craft's maximum distance from 71,623km to 100,000km.
A problem with the liquid fuel thruster caused the 1,350kg vehicle to fall short of the mark.
As a solution, the Mars Orbiter Mission (MOM) - known informally as Mangalyaan, or Mars-craft - executed an additional thruster firing to make up for the shortfall early on Tuesday.
Speaking to Pallava Bagla, science editor at Indian broadcasting network NDTV, Isro's chairman K Radhakrishnan said: "All is well and operations completed as planned. The final orbit of the spacecraft will be known in a few hours."
Mr Bagla told BBC News that the "spacecraft has been put on required velocity and seems to be on track".
Instead of flying directly to Mars, the $72m (£45m) probe is scheduled to orbit Earth until the end of the month, building up the necessary velocity to break free from our planet's gravitational pull.

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/11/131112_mars_mission_snag_ml.shtml

भारत के मंगलयान में सोमवार को आई तकनीकी ख़ामी को मंगलवार सुबह तक ठीक कर लिया गया. यान को पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में स्थापित करने के दौरान तकनीकी गड़बड़ी आ गई थी.
इस बारे में जाने-माने विज्ञान पत्रकार पल्लव बागला ने बीबीसी को बताया, ''मंगलवार सुबह पांच बजे इसरो ने बताया है कि यान में लगे इंजन को दुबारा फ़ायर कर अपेक्षित 130 मीटर प्रति सेकंड की गति हासिल कर ली गई है. अब यह माना जा सकता है कि यान धरती से एक लाख किमी की अपेक्षित दूरी तक कुछ घंटों में पहुंच जाएगा. यान इसरो के संदेश का जवाब दे रहा है और कार्यक्रम सही दिशा में आगे बढ़ रहा है.''
हालांकि इसरो का कहना था कि मंगलयान "सामान्य हालत" में है और ठीक ढंग से काम कर रहा है.दरअसल यान को ऊपरी कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया के दौरान यान की इंजन प्रणाली में ख़ामी आ गई थी और वैज्ञानिकों की मंगल यान की कक्षा बढ़ाने की कोशिश नाकाम रही थी.
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रमुख के राधाकृष्णन ने स्वीकार किया कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रॉकेट को जितनी रफ़्तार हासिल करनी चाहिए थी, यान उसकी 25 प्रतिशत ही हासिल ही कर सका था.
लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मंगलयान ठीक तरह से चल रहा है. मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा की ओर बढ़ाने के लिए एक दिसंबर की तारीख़ तय की गई है.

दूरी बढ़ाने की कोशिश नाकाम

तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार यान को पृथ्वी की कक्षा में 71, 623 किलोमीटर से बढ़ा कर एक लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया जाना था. पर यान 78,276 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थापित हो गया.
कक्षा बढ़ाने की कोशिश के दौरान तरल ईंधन से चलने वाली मोटर 130 मीटर प्रति सेकेंड का वेग नहीं हासिल कर सकी और केवल 35 मीटर प्रति सेकेंड पर ही अटकी रही.
मंगल की दिशा में बढ़ने और उसकी कक्षा में प्रवेश के लिए यान को पृथ्वी की कक्षा में अधिकतम दूरी पर स्थापित होना बेहद ज़रुरी है.
इसरो का कहना है कि पिछले हफ्ते कक्षा बढ़ाने की पहली तीन कोशिशों के दौरान सारी प्रणाली सही तरीक़े से काम कर रही थी.



भारत ने सीधे मंगल पर यान प्रक्षेपित करने की बजाय कई चरणों में भेजने की योजना बनाई है. यान को नवंबर महीने के अंत तक पृथ्वी की कक्षा में रहना है और उसके बाद इसे मंगल की ओर रवाना होना है.
योजना के मुताबिक़ यान को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालने के लिए उसकी गति बढ़ानी ज़रुरी है ताकि वो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल सके और इसी क्रम में उसके इंजनों को चालू करके निर्धारित गति देनी है.
विज्ञान पत्रकार पलल्व बागला का कहना है, "जब आप इतनी दूर जा रहे हों तो अगर एक प्रणाली काम न भी करे तो भी आपको वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ती है, इसलिए इस सैटेलाइट पर लगभग हर चीज़ दो हैं. यही वजह है कि यान पर बहुत ज़्यादा वैज्ञानिक उपकरण नहीं हैं."

पृथ्वी की कक्षा से निकलने का समय

सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मंगलयान को 30 नवंबर से पहले पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलना होगा. इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए वर्ना यह अपने मिशन में सफल नहीं हो पाएगा.
दरअसल इस दौरान मंगल की दूरी पृथ्वी से सबसे कम होती है, जिससे उपग्रह को कम ऊर्जा ख़र्च करके मंगल की कक्षा में भेजना आसान होता है.
यह स्थिति 26 महीनों में एक बार बनती है. इसका मतलब यह हुआ कि यदि 30 नवंबर से पहले ट्रांसफ़र ऑर्बिट में यान नहीं पहुंचा तो इस स्थिति के दोबारा बनने के लिए 26 महीनों का इंतज़ार करना होगा.

भारत का मंगल यान पांच नवंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ था.

1 comment:

  1. તીરુપતી બાલાજીના મંદિરમાં જઈ પુજા કરવાથી આ યાન ચંદ્ર, મંગલ અને સુર્ય સુધી જરુર પહોંચી જશે.

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