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https://www.bbc.com/hindi/live/india-52801819
केंद्र और राज्य द्वारा उठाए गए क़दमों में ख़ामियां: प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट
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केंद्र और राज्य द्वारा उठाए गए क़दमों में ख़ामियां: प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट
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केंद्र और राज्य द्वारा उठाए गए क़दमों में ख़ामियां: प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट
- देशभर में फंसे प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और प्रवासी मज़दूरों की सहायता करने को कहा है.कोर्ट ने कहा कि भारत और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए क़दम अपर्याप्त और ख़ामियों भरे हैंसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस स्थिति को बदलने के लिए एक केंद्रित कार्रवाई की आवश्यकता है.कोर्ट का कहना है कि प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त में यात्रा, आश्रय और भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है.सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर गुरुवार को केंद्र से जवाब देने के लिए कहा है.सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहाजस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी.कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा, “वो देशभर के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं और कष्ट पर स्वतः संज्ञान ले रहा है. अख़बारों और अन्य मीडिया की रिपोर्टें लगातार प्रवासी मज़दूरों के पैदल और साइकिलों पर लंबी दूरी तय करते हुए दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय स्थितियों को दिखा रही हैं.”“पूरे देश में लॉकडाउन की इस स्थिति में समाज के इस तबक़े को संबंधित सरकारों से मदद की ज़रूरत है. ख़ासतौर पर भारत सरकार और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को कुछ ख़ास क़दम उठाने की ज़रूरत है ताकि प्रवासी मज़दूरों की मदद की जा सके.”
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने घोषणा की है कि द्वितीय विश्व युद्ध विजय दिवस की 75वीं सालगिरह पर रूस सैन्य परेड आयोजित करेगा.कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने के बाद पुतिन ने 9 मई को होने वाली रूस की पारंपरिक विजय दिवस परेड को रद्द कर दिया था.आमतौर पर रूस में विजय दिवस के मौक़े पर मॉस्को के रेड स्क्वेयर पर जवान, पूर्व सैनिक, ऐतिहासिक रेड आर्मी के वाहन और आधुनिक सैन्य साज़ो-सामान देखने को मिलते हैं.इन सबके बजाय रूस ने क्रेमलिन के ऊपर से सैन्य वायु यान की उड़ान और माल्यार्पण समारोह आयोजित किया था.अब राष्ट्रपति पुतिन ने अपने रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने निर्देश दिए हैं कि वो अगले महीने इस समारोह की तैयारी करें.उन्होंने अपने मंत्री से मंगलवार को कहा, “हम इसे 24 जून को करेंगे, उस दिन जब 1945 में दिग्गज विजेताओं की परेड हुई थी.”विजय दिवस समारोह पूर्व सोवियत देशों के लिए ख़ास मौक़ा होता है, द्वितीय विश्व युद्ध में इसमें सभी देशों के 2.6 करोड़ लोग मारे गए थे.
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केंद्र और राज्य द्वारा उठाए गए क़दमों में ख़ामियां: प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट
देशभर में फंसे प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और प्रवासी मज़दूरों की सहायता करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा कि भारत और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए क़दम अपर्याप्त और ख़ामियों भरे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस स्थिति को बदलने के लिए एक केंद्रित कार्रवाई की आवश्यकता है.
कोर्ट का कहना है कि प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त में यात्रा, आश्रय और भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर गुरुवार को केंद्र से जवाब देने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा, “वो देशभर के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं और कष्ट पर स्वतः संज्ञान ले रहा है. अख़बारों और अन्य मीडिया की रिपोर्टें लगातार प्रवासी मज़दूरों के पैदल और साइकिलों पर लंबी दूरी तय करते हुए दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय स्थितियों को दिखा रही हैं.”
“पूरे देश में लॉकडाउन की इस स्थिति में समाज के इस तबक़े को संबंधित सरकारों से मदद की ज़रूरत है. ख़ासतौर पर भारत सरकार और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को कुछ ख़ास क़दम उठाने की ज़रूरत है ताकि प्रवासी मज़दूरों की मदद की जा सके.”