रिटायर ऑफिसर ने दी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। मन में अगर सीखने और पढ़ने की लगन है तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। इस बात को हकीकत कर दिखाया है पटना के 77 वर्षीय बिनय कुमार ने। उन्होंने इंदिरा गाधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय [इग्नू] से पहले दूरस्थ शिक्षा में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद उन्होंने एमफिल/पीएचडी की प्रवेश परीक्षा दी है। उन्हें भरोसा है कि वह परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार में चुन लिए जाएंगे। सबसे अधिक उम्र के बिनय कुमार के अलावा 10 और ऐसे प्रत्याशी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए, जिनकी उम्र 55 से 65 वर्ष के बीच है। दिसंबर 1936 में जन्मे बिनय कुमार बताते हैं कि वह 18 साल पहले पटना के पशु पालन विभाग में साख्यिकी रिसर्च अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
उसके बाद कुछ सालों बाद पढ़ने की इच्छा हुई तो इग्नू से पढ़ाई शुरू की और हाल ही में इग्नू द्वारा आयोजित पीएचडी की प्रवेश परीक्षा दी है। उन्होंने कहा कि मेरे मन में काफी जिज्ञासाएं हैं, जिन्हें जानने के लिए पढ़ना जरूरी है। मेरे चार पुत्र हैं, जिनमें से एक पीएनबी बैंक में अधिकारी है। दूसरा पटना हाइकोर्ट में वकील है और तीसरा बेटा फिजियोथेरेपिस्ट है। एक बेटा कनाडा के टोरंटो शहर में होटल प्रबंधन क्षेत्र में कार्यरत है। मैं पोते-पोतियों के साथ पढ़ता हूं तो उन्हें भी खुशी होती है। क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और जीवन तो सीखने का ही नाम है। इग्नू के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवि मोहन कहते हैं कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य ही लोगों को शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराना है। ज्ञान अर्जित करने की कोई उम्र नहीं होती। इसलिए तो इग्नू में लाखों छात्र प्रति वर्ष दाखिला लेकर मुक्त रूप से अध्ययनरत हैं। उन्होंने कहा कि इससे उन लोगों को भी फायदा होता है जो किन्हीं कारणवश संस्थागत रूप से शिक्षा ग्रण नहीं कर पाते हैं।
No comments:
Post a Comment
કોમેન્ટ લખવા બદલ આભાર