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Friday 12 January 2018

चार जजों ने चीफ़ जस्टिस को लिखी ये चिट्ठी




अत्यारे रातना दस वागीने चालीस मीनीट थयी गई छे. हजी काम बाकी छे.


सवारथी यादी बनावी एक मोटा ओरडामां बारी बारणा दरवाजा बंध करी कोम्प्य़ुटर, घडीयाळ, मोबाईल, वगेरे साथे राखी काम करतो हतो. बीबीसी अने नवभारत टाईम्स उपर सुपरीम कोर्टना जजो ए बोलावेल सभा बाबत वांचेल.


हींन्दुओना जनुनी टोळाए सुपरीम कोर्टमां बांहेधरी आप्या पछी अयोध्यमां बाबरी मस्जीदने तोडी पाडी एना पछी बीजेपीने पेट भरी वखोडवा लाग्यो.


एमां आजना समाचारथी वधारे जनुन मने चड्युं.


कामने कारणे नीबंध तो पछी क्यारेक लखीश. पण चार फोटा अरजन्ट मुकी दउ छुं.













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4 comments:

  1. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्र को पत्र लिखकर शीर्ष अदालत की ओर से दिए गए कुछ आदेशों को लेकर चिंता जताई है.
    उनका कहना है कि इन आदेशों की वजह से न्यायपालिका के संचालन पर बुरा असर हुआ है.
    जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ़ की ओर से लिखे गए आठ पन्नों के पत्र का हिन्दी अनुवाद ये रहा.
    डियर चीफ़ जस्टिस,
    बड़ी नाराज़गी और चिंता के साथ हमने ये सोचा कि ये पत्र आपके नाम लिखा जाए, ताकि इस अदालत से जारी किए गए कुछ आदेशों को रेखांकित किया जा सके, जिन्होंने न्याय देने की पूरी कार्यप्रणाली और हाईकोर्ट्स की स्वतंत्रता के साथ-साथ भारत के सुप्रीम कोर्ट के काम करने के तौर-तरीक़ों को बुरी तरह प्रभावित किया है.

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  2. http://www.bbc.com/hindi/india-42660424

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  3. https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10214871485761892&set=pcb.10214871488681965&type=3&theater

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  4. नवभारत टाईम्स, राजेश चौधरी, नवभारत टाइम्स | Updated: Jan 12, 2018, 05:23PM IST

    नई दिल्ली
    आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जजों के मुताबिक यह चिट्ठी उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखी थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित 7 पन्नों के पत्र में जजों ने कुछ मामलों के असाइनमेंट को लेकर नाराजगी जताई है। बता दें कि जजों का आरोप है कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है। पढ़िए, चिट्ठी में जजों ने क्या लिखा है...

    - घोर दुख और चिंता है इसलिए लेटर लिखा है। यह सही होगा कि आपको लेटर के जरिये मामले को बताया जाय। हाल में जो आदेश पारित किये उससे न्याय प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ा है साथ ही सीजेआई के ऑफिस और हाई कोर्ट के प्रशासन पर सवाल उठा है।

    - यह जरूरी है कि उक्त सिद्धान्त का पालन हो और सीजेआई पर भी वह लागू है। सीजेआई खुद ही उन मामलों में अथॉरिटी के तौर पर आदेश नहीं दे सकते, जिन्हें किसी और उपयुक्त बेंच ने सुना हो चाहे जजों की गिनती के हिसाब से ही क्यों न हो। उक्त सिद्धान्त की अवहेलना अनुचित, अवांछित और अशोभनीय है। इससे कोर्ट की गरिमा पर संदेह उत्पन्न होता है।

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કોમેન્ટ લખવા બદલ આભાર