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Wednesday 14 March 2012

अमेरिकी साइट पर सोनिया की 'दौलत' के चर्चे

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12242887.cms

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नई दिल्ली।।
अमेरिकी वेबसाइट ' बिजनेस इनसाइडर ' ने दुनिया के सबसे रईस राजनेताओं की लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चौथे नंबर पर रखा है। इस लिस्ट में हरियाणा की विधायक और जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल का नाम भी है। साइट के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष की संपत्ति 2 से 19 अरब डॉलर यानी 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है।

दरअसल, सबसे पहले यह खबर जर्मनी के अखबार 'डी वेल्ट' में छपी थी। इस अखबार के वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड सेक्शन में दुनिया के सबसे रईस 23 नेताओं की लिस्ट छापी गई थी। उसमें भी सोनिया गांधी चौथे स्थान पर हैं। ' बिजनेस इनसाइडर ' ने अपनी लिस्ट में सोर्स के रूप में वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड का हवाला दिया है, जबकि सबसे नीचे लिखा गया है कि यह रिपोर्ट OpenSecrets.org, Forbes.com, Bloomberg.com, Wikipedia.org, Guardian.co.uk से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई है।

इस पर अभी तक कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइटों पर काफी चर्चा है। कुछ लोगों ने कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया न आने पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया की अपेक्षा इसलिए की जा रही है, क्योंकि सोनिया गांधी की ओर से घोषित की गई संपत्ति और लिस्ट में बताई गई संपत्ति में जमीन-आसमान का अंतर है। ऐसे में संभावना यह जताई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी साइट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

लिस्ट में अहम नाम
1. अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज शाह, सऊदी अरब
2. हसनल बोलखेह सुल्तान, ब्रुनेई
3. माइकल ब्लूमबर्ग मेयर, न्यूयॉर्क
4. सोनिया गांधी
6. व्लादीमिर पुतिन
7. सावित्री जिंदल
19. आसिफ अली जरदारी
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http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12242887.cms

3 comments:

  1. http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12231689.cms

    नई दिल्ली।। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह देश के पूर्व चीफ जस्टिस के. जी. बालकृष्णन और उनके संबंधियों के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है। साथ ही केंद्र ने मामले की जांच संबंधी एक स्थिति रिपोर्ट कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में सौंपी।

    देश के पूर्व चीफ जस्टिस और उनके संबंधियों पर आरोप है कि बालकृष्णन के जज के तौर पर कार्यकाल के दौरान उन्होंने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक की संपत्ति अर्जित की। चीफ जस्टिस एस. एच. कपाड़िया और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल जी. ई. वाहनवती ने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बालकृष्णन के दोनों दामादों और भाई की संपत्तियों की जांच कर रहा है।

    रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पीठ ने सरकार से जानना चाहा कि पूर्व चीफ जस्टिस पर लगे आरोपों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी। यह बताने के लिए पीठ ने सरकार को तीन हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट का यह आदेश 'कॉमन कॉज' संगठन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि देश के पूर्व चीफ जस्टिस के. जी. बालकृष्णन और उनके संबंधियों ने बालकृष्णन के सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर कार्यकाल के दौरान आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक की संपत्ति अर्जित की।

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  2. http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12918998.cms

    राजीव देशपांडे।। नई दिल्ली
    पिछले साल योजना आयोग ने गरीबी रेखा के लिए जो मानदंड तय किए थे, उस पर काफी विवाद हुआ था। योजना आयोग ने कहा था कि शहरों में प्रतिदिन 28.65 रुपये और गांवों में 22.42 रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोग गरीबी रेखा से नीचे नहीं माने जा सकते हैं। अब नैशनल सैंपल सर्वे 2009-10 के आंकड़ों ने एक नई बहस पैदा की है। इसके मुताबिक अगर जीने के लिए जरूरी मासिक खर्च को आधार माना जाए तो शहरों में जो लोग रोज 66.10 रुपये से कम कमाते हैं, उन्हें गरीब माना जा सकता है। इसी तरह गांवों में प्रतिदिन 35.10 रुपये से कम कमाने वाला शख्स गरीब कहा जा सकता है।

    एनएसएसओ 66वें राउंड के आंकड़ों के मुताबिक देश के गांवों में लोगों का औसत मासिक खर्च 1054 रुपये प्रति व्यक्ति और शहरों में 1984 रुपये प्रति व्यक्ति है। इस तरह से हम पाते हैं कि गांवों में रहने के लिए रोज 35.10 रुपये और शहरों में जीवन जीने के लिए रोज 66.10 रुपये जरूरी हैं। अगर इसको आधार माना जाए तो गांवों में रहने वाली 64.47 फीसदी आबादी और शहरों में रहने वाली 66.70 फीसदी आबादी इस एवरेज स्टैंडर्ड से नीचे है। इस तरह से तकरीबन कुल आबादी का 65 हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे होगा। हालांकि, जब सरकार गरीबी रेखा के बारे में अपने मानदंड पर फिर से विचार कर रही है, ऐसे में गरीबी रेखा की परिभाषा तय करने में यह औसत मासिक खर्च का आंकड़ा फायदेमंद साबित हो सकता है।

    अगर राज्यों की बात करें तो सभी राज्यों की लगभग 60 फीसदी आबादी इस औसत मासिक खर्च से कम में गुजर बसर करती है।

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  3. http://www.dnaindia.com/india/report_we-can-launch-agni-but-can-t-provide-sanitation-to-women_1682002

    'We can launch Agni, but can't provide sanitation to women'
    Published: Saturday, Apr 28, 2012, 19:43 IST | Updated: Saturday, Apr 28, 2012, 23:32 IST
    Place: Karnal | Agency: PTI


    Sixty per cent of women do not have access to proper sanitation in India which is the "biggest blot" on a country that has otherwise successfully tested missiles and put satellites in space, Union Minister Jairam Ramesh said today.

    "60% women in the country do not have access to toilets...We can launch missiles like Agni and satellites, but we can not provide sanitation to our women. What can be a biggest blot on the nation than this?", the Rural Development Minister said at Nirmal Gram Puraskar-2011 distribution function and Panchayati Raj Sammelan here

    India is lagging behind its neighbours Sri Lanka, Nepal, Bangladesh, Pakistan and Afghanistan when it comes to providing proper sanitation to people, Ramesh, who also holds the portfolio of Drinking Water and Sanitation, said.

    Mahatma Gandhi is the one and only politician in the country who sincerely worked to end the menace of open defecation, Ramesh said.

    Nirmal Bharat Abhiyan, a re-structured programme of Total Sanitation Campaign, would be formally launched soon, he said, adding that village panchayats concerned would be made responsible for keeping their village open-defecation free.

    Ramesh said the Central government has fixed a target to make every gram panchayat as open-defecation free in next 10 years and added that the government would increase the fund under the Nirmal Bharat Abhiyan from Rs2,200 to Rs9,900 per household.

    While praising the Haryana government and its approach in the total sanitation campaign, the minister said that he always asked other states to follow the Haryana slogan of 'Shauchalya Nahin To Dulhan Nahin' (No toilets, No bride).

    "If you continue this programme in the same pace, in three years your state will become Nirmal Haryana," he told state Chief Minister Bhupinder Singh Hooda who was present on the occasion.

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