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Monday 6 August 2012

भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए संसद में अच्छे लोग भेजना जरूरी है


भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए संसद में अच्छे लोग भेजना जरूरी है

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............   .............  120 करोड़ जनता में 1000 चरित्रशील लोग नहीं मिलेंगे? ऐसा नहीं हो सकता। कारण, इस देश की परमपरा चरित्र और त्याग पर आधारित परमपरा है। ऐसे लोग खोजने से जरूर मिलेंगे। मैंने 40 साल पहले यह ज़ाहिर किया था कि मैं पक्ष और पार्टी नहीं बनाऊंगा। किसी भी राजनिति में नहीं जाऊंगा। यह उम्र के 40 साल पहले निर्णय लिया। न पक्ष निकालूंगा, न चुनाव लडूंगा, न पार्टी निकालूंगा केवल विकल्प देने का प्रयास करूंगा। साथ-साथ यह भी निर्णय लिया था कि मैं भगवत गीता का कर्मयोग का पालन करूंगा। मैं जो भी कर्म करूंगा। वह किसी फल की अपेक्षा न करते हुए निष्काम भाव से करूंगा। “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थ्नामधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।” गीता के इस संदेश का पालन करते हुए कार्य करता रहूंगा। कभी चुनाव नहीं लडूंगा यह भी निर्णय लिया। लेकिन समाज को देश की भलाई के लिए निष्काम भाव से कर्म करते हुए समाज को विकल्प देते रहूंगा।  ............   .............  ............   .............  




धर्म नीरीपेक्षका मतलब कीसीभी धर्मको प्रोत्साहन या सहायता नहीं करना। 

भारतमें सब से ज्यादा भृष्टाचार धर्मके वजह से होते है। हीन्दु रामायण महाभारतका सहारा लेकर भृष्टाचार ही करते है। 

भगवद गीताका सहारा लेकर कर्म, जातपातमें मानते है। भगवद गीता ही जातपातका ग्रंथ है। आपने ब्लोगमें गीताका स्पस्ट उल्लेख करके जातपातको सहायता की है। 


9 comments:

  1. धर्म नीरीपेक्षका मतलब कीसीभी धर्मको प्रोत्साहन या सहायता नहीं करना।

    भारतमें सब से ज्यादा भृष्टाचार धर्मके वजह से होते है। हीन्दु रामायण महाभारतका सहारा लेकर भृष्टाचार ही करते है।

    भगवद गीताका सहारा लेकर कर्म, जातपातमें मानते है। भगवद गीता ही जातपातका ग्रंथ है। आपने ब्लोगमें गीताका स्पस्ट उल्लेख करके जातपातको सहायता की है।

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  2. અન્ના હજારેની ટુકડીએ સંસદમાં આવનાર લોકપાલ બીલ કે ખરડા માટે મૃત્યુઘંટ વગાડેલ છે.

    ગમે એવો પણ લોકપાલ બીલ આવવો જોઇતો હતો.

    હવે એ શક્યતા ઓછી થઈ ગઈ છે.

    ઓછ હોય તેમ અન્ના હજારે રાજકરણમાં જંપલાવીને પોતાના બ્લોગ ઉપર ભગવદ ગીતાનો આસરો લીધો છે.

    જે ભગવદ ગીતા કર્મ અને જાતપાતને ટેકો આપે છે.

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  3. http://timesofindia.indiatimes.com/india/Lokpal-will-double-corruption-Justice-Katju/articleshow/15376855.cms

    INDORE: Chairman of Press Council of India, Justice (retired) Markandey Katju believes that instead of checking corruption Lokpal Bill will double up corruption in the country.

    He elaborates that Anna Hazare's proposed Lokpal bill is expected to cover 2.50 crores government employees. There will be lakhs complaints against them for which nearly one lakh ombudsmen will have to appoint under Lokpal. Katju fears that all these ombudsmen will turned into blackmailers because of low level of morality prevailing in the society. In this way Lokpal which will be formed to check corruption will end up doubling corruption in the country.

    Further taking a dig at Anna Hazare's movement against corruption and demand for strong Lokpal Bill, Katju said that Anna Hazare had for long saying that large amount of money mainly earned through corrupt means are used in election. Now he and his team have decided to enter into electoral politics. Though he has declared that he will not contest elections because he doesn't have Rs 15 to Rs 20 crores to spend in elections, he has decided to support honest candidates. However, Ann didn't explain how an honest candidate will manage to spent required Rs 15 to rs 20 crores in election.

    Katju is of opinion that team Anna's decision to enter into electoral politics will not change anything as he believes that Indian voters are like sheep and cattle. He stressed that Indian voters vote in enmasse for a candidate without seeing his merit and character.

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  4. http://navbharattimes.indiatimes.com/bal-thackeray-takes-potshots-at-team-annas-political-provision/articleshow/15375993.cms

    मुंबई।। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने टीम अन्ना पर राजनीतिक पार्टी बनाने को लेकर तना कसा है। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने चुटकी लेते हुए आश्चर्य जताया कि यह 'चमत्कार' कैसे हुआ?

    पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में 89 वर्षीय ठाकरे ने कहा, 'कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि राजनीति मूर्खों का आखिरी ठिकाना है। टीम अन्ना का यहां स्वागत है, लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे?'

    ठाकरे ने कहा कि टीम अन्ना के अनशन में भीड़ नहीं आने के बाद वह कुछ उलट-पुलट की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'अस्पताल में भर्ती के दौरान जंतर-मंतर पर होने वाली गतिविधियों पर मेरी नज़रें थीं।मैंने महसूस किया कि टीम अन्ना से भीड़ की दूरी के बाद लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ घोषणाएं की जाएंगी। शिवसेना चीफ ने कहा कि यह अच्छा है कि टीम अन्ना ने चुनावी रास्ता अपनाया है क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अनशन के तरीके को बनाए रख पाने में वे नाकाम रहे।

    बाल ठाकरे ने कहा, 'हमारे देश में इतनी बड़ी डिमॉक्रेसी है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी का गठन कर सकता है। यह व्यक्ति विशेष का अधिकार है कि वह अपनी पार्टी को गंभीरता से लेता है या नहीं।'

    उन्होंने कहा, 'कौन जानता है कि टीम अन्ना के सदस्यों की भी आखिर में अलग-अलग पार्टियां हों। टीम अन्ना में दरार दिखती है। अन्ना प्रणव मुखर्जी की प्रशंसा करते हैं जबकि उनकी बाकी टीम उन्हें भ्रष्ट कहती है। टीम अन्ना अपनी सुविधा के अनुसार भ्रष्टाचार और घोटाले को परिभाषित करती है।' ठाकरे ने आश्चर्य जताया कि टीम अन्ना बोफोर्स घोटाले पर खामोश क्यों रही?

    उन्होंने कहा, 'जब तक चुनावों से काले धन का इस्तेमाल नहीं रुकता, भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। देश में बड़े कॉर्पोरेट घराने राजनीति चलाते हैं। चुनावों में बड़ा निवेश होता है। बिना पैसे के कोई चुनाव नहीं लड़ सकता।'

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  5. http://navbharattimes.indiatimes.com/lokpal-to-come-up-before-2014-general-elections-khurshid/articleshow/15365438.cms

    नई दिल्ली।। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का अनिश्चितकालीन अनशन खत्म होने के बाद कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि सरकार इस तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए अब बेहतर तरीके से तैयार है। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले लोकपाल का गठन किया जाएगा।

    उन्होंने इस बात का भी संकेत दिया कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हजारे को भेजा गया लेटर अगर टीम अन्ना के सदस्यों के ध्यान में नहीं आता तो उनकी अन्ना के साथ 23 जून की निजी बैठक से कुछ ना कुछ नतीजा जरूर निकला होता।

    एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू में जब खुर्शीद से पूछा गया कि क्या वह इस बात का आश्वासन दे सकते हैं कि 2014 के संसदीय चुनाव से पहले लोकपाल का गठन किया जाएगा। तो खुर्शीद ने कहा, यह काम मेरा नहीं प्रधानमंत्री का है। लेकिन मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि हां, 2014 के संसदीय चुनाव के काफी पहले ऐसा हो जाएगा। पर मैं आपको तारीख नहीं दे सकता।

    हजारे के साथ पुणे के पास अपनी निजी मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हजारे लोकपाल के तहत ग्रुप ए, बी, सी, डी अधिकारियों को शामिल करना, राज्यों में लोकायुक्त का गठन और सिटीजंस चार्टर के रूप में तीन बातें चाहते थे। जब खुर्शीद ने साफ किया कि सरकार ऐसा पहले ही कर चुकी है तो हजारे चाहते थे कि सरकार एक लेटर के जरिए इसकी पुष्टि करे।

    खुर्शीद का कहना था कि जब पीएमओ में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने हजारे को पत्र इंडिया अगेंस्ट करप्शन के पते पर पत्र भेजा। लेकिन उसे अन्ना से पहले ही उनके सहयोगियों ने खोल लिया और अन्ना नाराज हो गए। खुर्शीद के मुताबिक, अन्ना चाहते थे कि टीम अन्ना को इसकी जानकारी ना मिले। इसके बाद अन्ना और सरकार में गतिरोध पैदा हो गया। खुर्शीद के मुताबिक, पुणे में अन्ना ने कहा था कि वह 25 जुलाई या 9 अगस्त को अनशन नहीं शुरू करेंगे। लेकिन बाद में वह पलट गए।

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  6. http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/08/120803_anna_yogendra_rj.shtml

    .....इसमें कोई शक नहीं कि अनशन के हथियार को बार-बार इस्तेमाल करने से उसकी धार कुंद पड़ती है. इसमें भी कोई शक नहीं कि इस बार जंतर मंतर पर किए गए अनशन को उस तरह का संख्याबल नहीं मिला जैसा कि रामलीला मैदान वाले अनशन को मिला था.

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  7. http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15376849.cms

    बेंगलुरु।। अन्ना हजारे के सहयोगी जस्टिस एन. संतोष हेगड़े सोमवार को अन्ना के टीम भंग करने के फैसले से असहमत दिखे। उन्होंने कहा कि टीम अनशन के मार्ग को अपनाए बिना भ्रष्टाचार और कुशासन के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाने का काम कर सकती थी।

    जस्टिस हेगड़े ने कहा, 'मैं टीम भंग करने के निर्णय से दुखी हूं क्योंकि अन्ना की ओर से मजबूत लोकपाल के लिए शुरू किया गया आंदोलन समय की जरूरत थी। टीम अन्ना को चुनाव में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं, इस पर विवाद और विचारों में अंतर संबंधी चर्चा दुर्भाग्यपूर्ण है और इसी के कारण अन्ना को टीम भंग करना पड़ा होगा।'

    हेगड़े ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि अन्ना अभी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व करेंगे। इसे अन्य चीजों के बिना ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए।'

    हेगड़े ने कहा कि उन्होंने अन्ना को अलग-अलग स्थानों का दौरा करने और लोगों से भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैयार करने का सुझाव दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या टीम अन्ना के राजनीतिक विकल्प तैयार करने की बात कारगर होगी, हेगड़े ने कहा कि वह ऐसा नहीं समझते हैं।

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  8. http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/15346825.cms

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: शिवसेना

    नवभारत टाइम्स | Aug 4, 2012, 04.36AM IST
    प्रसं॥ मुंबई

    बीजेपी और रिपब्लिकन पार्टी के साथ दल शिवसेना ने अन्ना के प्रस्तावित राजनीतिक दल का मखौल बनाया है।

    शिवसेना सांसद व प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा है कि बाहर रहकर राजनीति और राजनेताओं की आलोचना करना आसान था। अब ऊंट पहाड़ ने नीचे आया है। अन्ना अब खुद चुनाव लड़कर संसद के चुनाव जीतकर दिखाएं और भीतर 'सिस्टम' बदलने का अपनी घोषणा पूरी करके दिखाएं।

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  9. http://www.bhaskar.com/article/MP-IND-katju-statement-on-anna-hazare-3619638.html?LHS-

    इंदौर। इस देश की जनता मूर्ख है। बिना सोचे-समझे भेड़, बकरी की तरह किसी के भी पीछे चल पड़ती है। ये अण्णा हजारे का जन लोकपाल किसने पढ़ा है? पढ़ा है तो किसी ने उसका एनालिसिस किया है क्या? उनका बिल लागू हुआ तो भ्रष्टाचार दो गुना हो जाएगा। वे राजनीति में आ रहे हैं? आएं। ये बताएं कि कौन-सी जाति की उनकी पार्टी होगी। यहां ईमानदारों को कोई वोट नहीं देता।

    समाजसेवी महेंद्र जोशी स्मृति प्रसंग कार्यक्रम में यह बात भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मरकडेय काटजू ने कही। बतौर मुख्य अतिथि वे बोल रहे थे। अध्यक्षता कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजयसिंह ने की। कार्यक्रम की रूपरेखा वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने रखी। श्री जोशी का जीवन परिचय एडवोकेट सतीश बागड़िया ने दिया। श्री जोशी की माता भारती जोशी, वरिष्ठ पत्रकार अभय छजलानी भी मौजूद थे। आभार जयश्री पिंगले ने माना।

    ‘यूरोपीय मीडिया से सबक नहीं लेते’

    - देश की 90 फीसदी जनता मूर्ख है। चुनावों में प्रत्याशी का चाल, चरित्र देखे बगैर वोट दे आती है।

    - जाति के आधार पर राजनीति हो रही है। टिकट से लेकर मंत्री पद तक जातिगत समीकरणों के आधार पर दिए जाते हैं।

    - बाबरी मसजिद जब गिर रही थी तो ज्यादातर मीडिया निष्पक्ष रिपोर्टिग के बजाय कारसेवक बनकर काम कर रहा था।

    - अन्ना हजारे के आंदोलन में भी यही हुआ। सच दिखाने के बजाय पत्रकार टीम अण्णा के सदस्य बनकर रिपोर्ट तैयार कर रहे थे।

    - टीवी चैनल्स यूरोपीय मीडिया से सबक नहीं लेते। सकारात्मक खबरें दिखाने के बजाय फिल्मी कलाकारों की लाइफ स्टाइल का बखान कर रहे हैं।

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