इन कश्मीरियों की दुनिया
https://www.bbc.com/hindi/india-50885254
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दो परमाणु सशस्त्र पड़ोसी मुल्क़ों के बीच 13 दिन तक यह युद्ध चला था. इस उपमहाद्वीप को उस युद्ध की बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी और सबसे ज़्यादा उन लोगों को, जो युद्ध के कारण बिछड़ गए.
ये ऐसे ही लोगों की कहानी है, जो 1971 के युद्ध के दौरान अलग हुए और फिर कभी भी उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिल पाई.
भारत प्रशासित कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सुदूर उत्तर में ऐसे ही चार गाँव स्थित हैं, जो युद्ध के दौरान भारत के क़ब्ज़े में आए थे. इनका नाम है- तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग.
छोटे-छोटे इन चार गाँवों तक पहुँचना आसान नहीं है. ये गाँव लद्दाख क्षेत्र की नुब्रा घाटी में सबसे दूर स्थित हैं. इनके एक तरफ श्योक नदी बहती है और दूसरी तरफ कराकोरम पर्वत शृंखला की ऊँची चोटियाँ हैं
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दो परमाणु सशस्त्र पड़ोसी मुल्क़ों के बीच 13 दिन तक यह युद्ध चला था. इस उपमहाद्वीप को उस युद्ध की बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी और सबसे ज़्यादा उन लोगों को, जो युद्ध के कारण बिछड़ गए.
ये ऐसे ही लोगों की कहानी है, जो 1971 के युद्ध के दौरान अलग हुए और फिर कभी भी उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिल पाई.
भारत प्रशासित कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सुदूर उत्तर में ऐसे ही चार गाँव स्थित हैं, जो युद्ध के दौरान भारत के क़ब्ज़े में आए थे. इनका नाम है- तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग.
छोटे-छोटे इन चार गाँवों तक पहुँचना आसान नहीं है. ये गाँव लद्दाख क्षेत्र की नुब्रा घाटी में सबसे दूर स्थित हैं. इनके एक तरफ श्योक नदी बहती है और दूसरी तरफ कराकोरम पर्वत शृंखला की ऊँची चोटियाँ हैं.
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