मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने अजमल कसाब के बारे में क्या दावे किये हैं
उसका नाम समीर दिनेश चौधरी बताया जाता. उसके पास से हैदराबाद के अरुणोदय डिग्री कॉलेज की आईडी मिलती है .
उसके घर का पता 254, टीचर्स कॉलोनी, नगरभावी, बेंगलुरु बताया जाता. और यह सब कुछ फ़र्ज़ी होता.
क्योंकि उस रात राकेश मारिया के सामने अजमल आमिर कसाब बैठा था. 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हमला करने वाले 10 हमलावरों में से एक.
मक़बूल बट्ट को फांसी
तिहाड़ में मक़बूल बट्ट के साथ एक राजनीतिक क़ैदी जैसा बर्ताव किया जाता था. उनको पढ़ने लिखने का बहुत शौक था.
उनके साथ काम कर चुके हाशिम कुरैशी बताते हैं, "वो कम से कम 5 फ़ुट 10 इंच लंबे थे. वो बहुत नर्म मिजाज़ थे. जब भी वो बोलते थे तो ऐसा लगता था कि दुनिया की तमाम लाइब्रेरियों का इल्म उसने अपने अंदर समाया हुआ था."
"जब वो राष्ट्रवाद, आज़ादी या किसी समस्या पर बोलते थे, ग़रीबी और बीमारी के ख़िलाफ़, शिक्षा और औरतों के हक़ में, ऐसा लगता था कि दुनिया के तमाम इनक़लाबियों की रूह उनके अंदर बस गई है."
लेकिन मक़बूल ने अपनी वसीयत को लिखने के बजाए रिकॉर्ड करवाया. 11 फ़रवरी, 1984 की सुबह उन्होंने आख़िरी बार नमाज़ पढ़ी, चाय पी और फाँसी के फंदे की तरफ़ बढ़ गए.
"ये तिहाड़ जेल के इतिहास में पहली बार हुआ कि जहाँ उनको फाँसी दी गई थी, उसी के बगल में कब्र खुदवा कर उन्हें दफ़नाया गया."
आख़िर अफ़ज़ल ने लिखा क्या
बीबीसी विशेष: अफ़ज़ल गुरु को फांसी
अफ़ज़ल गुरु की वकील रही नंदिता हक्सर ने कहा है कि सरकार ने फांसी दिए जाने के फैसले की जानकारी अफ़ज़ल गुरु के परिवार को नहीं दी थी जबकि गृह मंत्रालय का कहना है कि फांसी से पहले स्पीड पोस्ट के ज़रिए ये जानकारी अफ़ज़ल गुरु के परिवार वालों को दे दी गई थी.
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