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Monday, 30 December 2019

जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा भारत- पाँच बड़ी ख़बरें

जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा भारत- पाँच बड़ी ख़बरें



जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा भारत- पाँच बड़ी ख़बरें


Tuesday, 24 December 2019

इन कश्मीरियों की दुनिया

इन कश्मीरियों की दुनिया


https://www.bbc.com/hindi/india-50885254


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दो परमाणु सशस्त्र पड़ोसी मुल्क़ों के बीच 13 दिन तक यह युद्ध चला था. इस उपमहाद्वीप को उस युद्ध की बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी और सबसे ज़्यादा उन लोगों को, जो युद्ध के कारण बिछड़ गए.
ये ऐसे ही लोगों की कहानी है, जो 1971 के युद्ध के दौरान अलग हुए और फिर कभी भी उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिल पाई.
भारत प्रशासित कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सुदूर उत्तर में ऐसे ही चार गाँव स्थित हैं, जो युद्ध के दौरान भारत के क़ब्ज़े में आए थे. इनका नाम है- तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग.
छोटे-छोटे इन चार गाँवों तक पहुँचना आसान नहीं है. ये गाँव लद्दाख क्षेत्र की नुब्रा घाटी में सबसे दूर स्थित हैं. इनके एक तरफ श्योक नदी बहती है और दूसरी तरफ कराकोरम पर्वत शृंखला की ऊँची चोटियाँ हैं







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दो परमाणु सशस्त्र पड़ोसी मुल्क़ों के बीच 13 दिन तक यह युद्ध चला था. इस उपमहाद्वीप को उस युद्ध की बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी और सबसे ज़्यादा उन लोगों को, जो युद्ध के कारण बिछड़ गए.
ये ऐसे ही लोगों की कहानी है, जो 1971 के युद्ध के दौरान अलग हुए और फिर कभी भी उन्हें मिलने की अनुमति नहीं मिल पाई.
भारत प्रशासित कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सुदूर उत्तर में ऐसे ही चार गाँव स्थित हैं, जो युद्ध के दौरान भारत के क़ब्ज़े में आए थे. इनका नाम है- तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग.
छोटे-छोटे इन चार गाँवों तक पहुँचना आसान नहीं है. ये गाँव लद्दाख क्षेत्र की नुब्रा घाटी में सबसे दूर स्थित हैं. इनके एक तरफ श्योक नदी बहती है और दूसरी तरफ कराकोरम पर्वत शृंखला की ऊँची चोटियाँ हैं.







Wednesday, 11 December 2019

जब खाया नहीं जाता, तो इतना तीखा खाते क्यों हैं हम?

जब खाया नहीं जाता, तो इतना तीखा खाते क्यों हैं हम?








पिछले साल एक अमरीकी अस्पताल के इमरजेंसी रूम में एक व्यक्ति को भर्ती कराया गया. डॉक्टर ये पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि उसे आख़िर हुआ क्या है. वो व्यक्ति तेज़ सर दर्द, गर्दन में दर्द से तड़प रहा था और उसे बार-बार उल्टी आ रही थी.
सीटी स्कैन, पेशाब की जांच, ब्लड प्रेशर जांच और शारीरिक जांच करने के बाद डॉक्टरों को पता चला कि उस व्यक्ति पर ज़हर का असर नहीं था और ना ही उसे कोई रहस्यमयी बीमारी थी, बल्कि उसने एक बहुत ही तीखी मिर्ची खा ली थी.
मिर्ची की जो किस्म उन्होंने खाई थी, उसका नाम है "कैरोलिना रीपर" (ये जेलापीनो पेपर से 275 गुना ज़्यादा तीखी है). 34 साल के इस शख़्स ने एक प्रतियोगिता में ये मिर्च खाने का फ़ैसला किया था.
ये मिर्च खाने की वजह से उनके दिमाग़ की धमनियां सिकुड़ने लगी थीं, लेकिन क़िस्मत से वो बच गए और बाद में पूरी तरह ठीक हो गए.




शहर जहां अकबर पैदा हुए और राणा रतन सिंह को फांसी हुई





Monday, 9 December 2019

उन्नाव रेप केस: दोस्ती, शादी, बलात्कार और जलाकर मार डालने की कहानी- ग्राउंड रिपोर्ट

Wednesday  8th January, 2020


बिहार में बीच चौराहे से छात्रा को अगवा कर 'गैंगरेप' का आरोप





उन्नाव रेप केस: दोस्ती, शादी, बलात्कार और जलाकर मार डालने की कहानी- ग्राउंड रिपोर्ट






Monday, 2 December 2019

क़ानूनी तरीक़े से लाखों डॉलर कैसे कमा रहे हैं भारतीय हैकर्स

क़ानूनी तरीक़े से लाखों डॉलर कैसे कमा रहे हैं भारतीय हैकर्स






BBC Hindi Tuesday 07.01.2020

वो क्रिप्टोक्वीन, जिसने दुनिया को लूटा और फ़रार हो गई